उत्तराखंड: नैनीताल नैनीझील में गंदा पानी बहा रहे हैं 148 होटल! वसूला जाएगा जुर्माना

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राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने नैनीताल सहित आसपास के इलाकों में अनधिकृत रूप से पेड़ों की कटाई से संबंधित मामले में सुनवाई करते कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि नैनीताल शहर से सटे क्षेत्रों में दुर्लभ व लुप्तप्राय प्रजातियों का वन क्षेत्र है।

लापरवाह लोग घरेलू सीवरेज व ठोस अपशिष्ट को नैनी झील तक पहुंचने वाले बरसाती नालों में बहा रहे हैं। शहर की ढलान वाली पहाड़ियों पर कटान से बड़े पैमाने पर पेड़ों की जड़ें दिखने लगी हैं। हर साल पहाड़ियों में पेड़ों के कटान से भूस्खलन व पर्यावरण को नुकसान होता है। हैरानी की बात है कि नैनीताल शहर सहित आसपास के इलाकों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बिना 148 से अधिक होटल चल रहे हैं और दूषित पानी व सीवरेज झील में बहा रहे हैं। क्षेत्र में व्यावसायिक निर्माण करने वालों की वजह से पारिस्थितिकी व पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। प्राधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस शिव कुमार सिंह, न्यायिक सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी व विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की खंडपीठ में नैनीताल निवासी विवेक वर्मा के पत्र को स्वत: संज्ञान लेती याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान नैनीताल के डीएफओ, एसडीएम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी पेश हुए। उन्होंने बताया कि पेड़ काटने वालों से करीब 11 लाख जुर्माना वसूला गया है। प्राधिकरण ने अपने आदेश में कहा है कि इन अधिकारियों की ओर से मामले में पर्याप्त जानकारी नहीं दी गई। जबकि बिना किसी अधिकार के पेड़ों को काटने के लिए कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई में नरम रुख अपनाया गया। पर्यावरणीय मुआवजे की गणना के आधार पर वसूली की कार्रवाई नहीं की। एनजीटी ने कहा कि डीएफओ की ओर से काटे गए पेड़ों की कीमत कम लगाई गई। जिससे अवैध कटान को बढ़ावा मिल सकता है।


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