नई दिल्ली. वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही मतलब 30 जून 2022 तक के 3 महीनों में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 13.5% रहा. हालांकि, यह भारतीय रिजर्व बैंक के वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही में 16.2% जीडीपी वृद्धि के अनुमान से कम है. Q1FY22 में भारत की जीडीपी वृद्धि 20.1% थी. जनवरी-मार्च जीडीपी एक साल पहले 4.1% ऊपर था.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था ने अप्रैल-जून तिमाही में एक साल में सबसे तेज वार्षिक वृद्धि दर्ज की है.
अनुमान से कम रही GDP बढ़ने की गति
वहीं, पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही (दिसंबर-मार्च) में जीडीपी की ग्रोथ सिर्फ 4.1 फीसदी थी. जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ बढ़ने की वजह लो बेस के साथ ही आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी है.
रेटिंग एजेंसी इकरा (ICRA) ने जीडीपी में 13 प्रतिशत की दर से ग्रोथ का अनुमान जताया था. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपनी रिपोर्ट में 15.7 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान दिया था. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस महीने की शुरुआत में मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक के दौरान कहा था कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट करीब 16.2 प्रतिशत रह सकती है. परंतु आज जो आंकड़े हैं, उसके अनुसार यह केवल इकरा के अनुमान से ही ऊपर है.
दुनिया में सबसे तेज बढ़ने वाली इकॉनमी है भारत
हालांकि 13.5 फीसदी की ग्रोथ अनुमान से कम है, लेकिन भारतीय इकॉनमी की यह दूसरी सबसे ज्यादा ग्रोथ है. इससे पहले पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 20.1 फीसदी थी. इस तरह इंडिया दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकॉनमी का ताज पहने हुए ही है. इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 13.5 फीसदी की ग्रोथ ऐसे वक्त आई है, जब चीन अपनी इकॉनमी को गिरावट से बचाने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रहा है.
अर्थशास्त्रियों को लगता है कि अगली कुछ तिमाहियों में भारत की आर्थिक वृद्धि की गति तेजी से धीमी होगी, क्योंकि ऊंची ब्याज दरें आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करेंगी. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मई के बाद से अपनी बेंचमार्क रेपो दर में 140 आधार अंकों की वृद्धि की है, जिसमें इस महीने 50 आधार अंक शामिल हैं, जबकि घरेलू विकास की संभावनाओं पर वैश्विक मंदी के प्रभाव के बारे में चेतावनी दी गई है.
कई अर्थशास्त्री अगले महीने लगभग 50 आधार अंकों की एक और वृद्धि की उम्मीद करते हैं, उसके बाद 25 आधार अंकों की एक और वृद्धि की उम्मीद की जा रही है. मतलब अभी कुल 75 अंकों की वृद्धि हो सकती है. उपभोक्ता खर्च (Consumer spending), जो लगभग 55% आर्थिक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है, खाद्य और ईंधन की कीमतों में वृद्धि के बाद बुरी तरह प्रभावित हुआ है. हालांकि, पिछले तीन महीनों में मासिक मुद्रास्फीति में कमी आई है.