नई दिल्ली। केरल हाईकोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक और बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि अविवाहित मां का बच्चा भी देश का नागरिक है और पहचान पत्रों में उसकी मां का नाम लिखा जाए। कोर्ट के इस फैसले की हर तरफ प्रशंसा हो रही है। कोर्ट ने कहा कि किसी इंसान को अपने आईडेंटिटी डॉक्यूमेंट्स में पिता का नाम नहीं लिखने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने यह आदेश अविवाहित मांओं और रेप विक्टिम्स के बच्चों के होने वाली परेशानियों को देखते हुए सुनाया।
सुनवाई के दौरान जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने महाभारत के कर्ण का जिक्र करते हुए कहा कि “हम एक ऐसा समाज चाहते हैं जिसमें कर्ण न हों, जो अपने जीवन को कोसते हैं। अपने माता-पिता का नाम नहीं जानने के लिए उन्हें अपमान का सामना करना पड़े। इसके बाद कोर्ट ने बर्थ सर्टिफिकेट से पिता के नाम को हटाने और पैरेंट्स के रूप में सिर्फ मां के नाम वाले सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश दिया।
कहा कि एक अविवाहित मां का बच्चा भी हमारे देश का नागरिक है और कोई भी उसके किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता है। इन अधिकारों की गारंटी हमारे संविधान में दी गई है। वह केवल अविवाहित मां का ही नहीं बल्कि इस महान देश भारत की भी संतान है। उसकी निजता, गरिमा और स्वतंत्रता के अधिकार को कोई भी अथॉरिटी कम नहीं कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो कोर्ट उनके अधिकारों की रक्षा करेगा।