देश के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सेल्फी लेने वाले लोग अब एक्टिविस्ट जज बन गए हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान एक बार भी प्रधानमंत्री से नहीं मिले थे। पूर्व CJI ने साथ ही कहा कि उन्हें उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की सुनवाई करने वाली पीठ का हिस्सा नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘हम सभी गलती करते हैं’ और इसे स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है। मालूम हो कि वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी ने गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।जिसका स्वत: संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित की थी। बाद में उन्हें जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन जजों की एक आंतरिक समिति ने क्लीन चिट दे दी थी।
जस्टिस गोगोई ने कहा कि जब प्रधानमंत्री राफेल फैसले से पहले शीर्ष न्यायालय गए थे,तब लोगों ने दावा किया था कि दाल में कुछ काला है। उन्होंने कहा, ‘दाल तो काला ही होता है, नहीं तो क्या दाल है। प्रधानमंत्री 26 नवंबर को संविधान दिवस पर आए थे और इसमें कुछ गलत नही है।
अपनी आत्मकथा ‘जस्टिस फॉर द जज’ के विमोचन पर एक निजी टीवी चैनल से गोगोई ने कहा कि ‘मुझे उस पीठ में न्यायाधीश नहीं होना चाहिए था जिसने उनके खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई की थी। बार और बेंच में मेरी 45 साल की कड़ी मेहनत बर्बाद हो रही थी। मैं पीठ का हिस्सा नहीं होता, तो शायद अच्छा होता। हम सभी गलतियां करते हैं। इसे स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है।