नई दिल्ली। दिवाली की आतिशबाजी के बाद से ही राजधानी दिल्ली समेत यूपी के कई जिलों में पॉल्यूशन से लोग परेशान हैं। हालात यह हैं कि पटाखों और पराली जलाने से हवा में जहर घुल रहा है जिसके चलते लोगों को सांस लेने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं पॉल्यूशन के चलते गंभीर बीमारियों का भी भय बना हुआ है। बीते रोज नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 461 और ग्रेनो का 414 मानकों के अनुसार गंभीर स्थिति में दर्ज हुआ। देश में गाजियाबाद 466 एक्यूआई के साथ सबसे ज्यादा और नोएडा दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। 456 और 449 एक्यूआई के साथ गुड़गांव और फरीदाबाद तीसरे और चौथे नंबर पर रहे। हवा में ठहराव की वजह से सड़कों पर 2 दिन से धुंध छाई हुई है। जानकारों के अनुसार हवा में ठहराव की वजह से भी प्रदूषण की मात्रा बढ़ी है। स्थिति को सामान्य होने में अगले दो से तीन दिन लग सकते हैं। ऐसे प्रदूषण में लोग सुबह बाहर टहलने से कतरा रहे हैं। अस्थमा और दिल के मरीजों के समस्याएं हो रही हैं। अस्पतालों में भी अस्थमा और दिल की समस्याओं को लेकर लोग पहुंच रहे हैं। धुंध की वजह से सड़कों पर दृश्यता लगभग 50 मीटर तक रही। इस बार 6 नवंबर का दिन बीते 2019 की तुलना में दोगुना प्रदूषित रहा। 2019 में 6 नवंबर के दिन नोएडा का एक्यूआई स्तर 215 रहा था जो इस साल 461 और ग्रेटर नोएडा का 2019 में एक्यूआई 208 था जो इस बार 414 दर्ज किया गया। हवा को प्रदूषित करने वाले तत्त्व पीएम 10 और पीएम 2.5 की हवा में मौजूदगी सामान्य से लगभग 9 गुना ज्यादा है।