नई दिल्ली। कोविशील्ड के खिलाफ ‘भेदभाव’ करने को लेकर भारत की ओर से गंभीर कूटनीतिक आलोचना किए जाने के कुछ दिनों बाद, यूके सरकार ने वैक्सीन को अप्रूव किए गए COVID-19 टीकों की सूची में शामिल कर लिया है। बुधवार को अपनी ट्रैवल एडवाइजरी में बदलाव करते हुए देश ने कहा कि कोविशील्ड एक अप्रूव वैक्सीन है। मालूम हो कि भारत ने धमकी दी थी कि अगर ब्रिटिश सरकार ने कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता नहीं दी तो वह भी भेदभावपूर्ण प्रोटोकॉल का जवाब देगा। यूके सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर संशोधित एडवाइजरी में कहा गया है, एस्ट्राजेनेका कोविशील्ड, एस्ट्राजेनेका वैक्सजेवरिया और मॉडर्न टाकेडा जैसे 4 सूचीबद्ध टीकों के फॉर्मूलेशन स्वीकृत टीकों के रूप में योग्य हैं। इंग्लैंड पहुंचने से कम से कम 14 दिन पहले आपके पास एक अप्रूव टीके का पूरा कोर्स होना चाहिए। इससे पहले, मीडिया से बात करते हुए, भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मंगलवार को कहा था कि कोविशील्ड की गैर-मान्यता एक ‘भेदभावपूर्ण नीति’ थी और दावा किया था कि यह यूके की यात्रा करने वाले हमारे नागरिकों को प्रभावित करता है। भारतीय विदेश मंत्री ने इस मुद्दे को दृढ़ता से ब्रिटेन के नए विदेश सचिव के समक्ष उठाया। उन्होंने कहा, मुझे बताया गया है कि कुछ आश्वासन दिए गए हैं कि इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा। श्रृंगला ने कहा, ‘हमने कुछ साझेदार देशों को एक-दूसरे के टीकाकरण प्रमाणपत्र को मान्यता देने का विकल्प भी दिया है। लेकिन ये कदम एक-दूसरे के फैसले पर निर्भर करते हैं। हमें देखना होगा कि आगे क्या होता है। अगर हम संतुष्ट नहीं होते हैं तो उसी तरह के कदम उठाना हमारे अधिकार क्षेत्र के भीतर होगा। वह इस संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे। श्रृंगला ने कहा, यहां मुख्य मुद्दा यह है कि, एक टीका है कोविशील्ड, जो ब्रिटिश कंपनी का लाइसेंसी उत्पाद है, जिसका उत्पादन भारत में होता है और ब्रिटिश सरकार के अनुरोध पर हमने ब्रिटेन को इसकी 50 लाख खुराक भेजी है। उन्होंने कहा, हम समझते हैं कि इसका उपयोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली (एनएचएस) के तहत हो रहा है और ऐसे में कोविशील्ड को मान्यता नहीं देना भेदभावपूर्ण नीति है और इससे ब्रिटेन की यात्रा करने वाले हमारे नागरिक प्रभावित होते हैं। बता दें कि यूके सरकार द्वारा वैक्सीन की गैर-मान्यता ने भारत में वैक्सीन की खुराक लेने के बाद यूके जाने वाले छात्रों और पेशेवरों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला था। वाशिंगटन डीसी में विदेश मंत्री एस जयशंकर और यूके के विदेश सचिव लिज़ ट्रस के बीच हुई बैठक के दौरान यह मामला ब्रिटेन सरकार के संज्ञान में लाया गया। ट्रस ने कहा था कि यूके सरकार ‘एक या दो दिन में’ नीति की समीक्षा करेगी।