नई दिल्ली। असम के दरंग ज़िले में विगत 23 सितंबर को अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई हिंसा को लेकर पाकिस्तान ने भारत से कड़ा एतराज़ जताते हुए इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग को तलब किया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शनिवार देर रात अपने प्रवक्ता का बयान ट्वीट किया। ट्वीट में लिखा था पाकिस्तान की सरकार ने भारत के असम राज्य में हाल ही में मुसलमानों को निशाना बनाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है जहाँ पर राज्य के मुस्लिम निवासियों के ख़िलाफ़ एक क्रूर निष्कासन अभियान शुरू किया गया है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के बाद पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख़ रशीद ने असम का हवाला देते हुए कहा है कि भारत के प्रधानमंत्री को अपने देश के अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हो रहे अत्याचार को देखना चाहिए। ग़ौरतलब है कि दरंग ज़िले के सिपाझार शहर से क़रीब 14 किलोमीटर दूर एक गाँव में इस अभियान के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसक झड़प में दो लोगों की मौत हो गई जबकि नौ पुलिसकर्मी और सात ग्रामीण घायल हो गए। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि उसने असम में मुसलमानों को निशाना बनाकर की गई हिंसा को लेकर शुक्रवार को भारतीय चार्ज डी अफ़ेयर्स को समन जारी किया था। विदेश मंत्रालय ने उनसे कहा कि ‘हालिया हिंसा की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है जो कि लगातार मुसलमानों के ख़िलाफ़ जारी हिंसा का एक हिस्सा है और भारत में यह राज्य के संरक्षण में सब कुछ हो रहा है। पाकिस्तान ने कहा, भारतीय सुरक्षाबल मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा में या तो ख़ुद शामिल हैं या फिर वे उन ‘हिंदुत्व’ चरमपंथियों और आतंकियों को ख़ुद सुरक्षा दे रहे हैं जो लगातार मुसलमानों के ख़िलाफ़ लिंचिंग या दूसरे तरीक़ों की यातनाओं में शामिल रहे हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के बयान ने कहा कि भारत सरकार मुस्लिम और अल्पसंख्यक विरोधी क़ानून ला रही है। पाकिस्तान ने कहा कि यह मुसलमानों के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता का स्तर और सम्मान की कमी को दिखाते हैं। भारतीय उच्चायुक्त से कहा गया है कि असम में हालिया मुस्लिम विरोधी हिंसा और इसी तरह की कई घटनाओं की भारत सरकार को अवश्य जाँच करानी चाहिए और इन अपराधों के लिए साज़िशकर्ताओं को सज़ा दी जानी चाहिए। साथ ही ऐसे क़दम उठाए जाने चाहिए, जिससे इस तरह की घटना भविष्य में न हों। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि एक निहत्थे शख़्स को पुलिस का गोली मारना और फिर सुरक्षाबल के सामने एक व्यक्ति का उस शव का अपमान करना बेहद चौंकाने वाला है।