नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने भड़काऊ भाषण देने के आरोप में उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें कि यह मामला 2007 का है, यूपी सरकार ने मई 2017 में इस आधार पर मुकदमे की अनुमति देने से मना कर दिया था कि सबूत नाकाफी हैं। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी फरवरी 2018 में मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। आज इस मामले में सीजेआई एनवी रमण, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। फरवरी, 2018 में दिये गये अपने फैसले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा था कि उसे जांच या मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी देने से इनकार करने की निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई प्रक्रियागत त्रुटि नहीं मिली। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी ने उच्च न्यायालय में उल्लिखित मुद्दों में से एक का जिक्र किया, जो इस प्रकार है, ‘‘क्या राज्य किसी आपराधिक मामले में प्रस्तावित आरोपी के संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 196 के तहत आदेश पारित कर सकता है, जो इस बीच मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाते हैं और संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत प्रदत्त व्यवस्था के अनुसार कार्यकारी प्रमुख हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को उच्च न्यायालय द्वारा नहीं निपटाया गया था। पीठ ने कहा, ‘‘एक और मुद्दा, एक बार जब आप निर्णय और सामग्री के अनुसार गुण-दोष देखते हैं, तो यदि कोई मामला नहीं बनता है, तो मंजूरी का सवाल कहां है।’’ शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘अगर कोई मामला है, तो मंजूरी का सवाल आएगा। अगर कोई मामला नहीं है, तो मंजूरी का सवाल ही कहां है।’’ इस पर अय्यूबी ने कहा कि मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार करने के कारण मामला बंद करने की रिपोर्ट दाखिल की गई है। उत्तर प्रदेश की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि मामले में कुछ भी नहीं बचा है।