जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से बढ़ते आतंकी हमलों ने कई सवालों को जन्म दिया है. जिसमे पाकिस्तान का मिशन कश्मीर की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर आतंकी समूहों का कोई नया गठजोड़ है और ईस्लामिक स्टेट विलाया हिंद (आईएसएचपी) आईएसआई की नई फ्रेंचाइजी का संदेह उठ रहा है.
एक मीडिया चैनल ने दावा किया है कि उनकी टीम ने आईएसआई के एक सेवानिवृत्त अधिकारी से बात की, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर अपने ब्लूप्रिंट का खुलासा किया. इस अधिकारी की जानकारी कितना मायने रखती है, इसका अंदाजा इस बात से लगया जा सकता है कि इन्होंने 10 सालों से अधिक समय तक नियंत्रण रेखा से जुड़े सभी क्षेत्रों में काम किया है.
2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के बाद
अधिकारी के मुताबिक, क्षेत्र में अपने महत्व को बनाए रखने के लिए आईएसआई अपने ‘मिशन कश्मीर’ को फिर से सक्रिय कर रहा है. 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद भारत और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच, आईएसआई ने भारत और कश्मीर में नियंत्रण खो दिया है. सेवानिवृत्त आईएसआई अधिकारी ने कहा, “देश की खराब आर्थिक स्थिति और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ब्लैकलिस्ट की धमकी के कारण हमारे फंड सीमित हैं.”
‘पाकिस्तान अपनी सभी लड़ाई हार चुका है’
उन्होंने कहा, “आईएसआई पहले कश्मीर और भारत में 80 से अधिक मिशनों को संभाल रहा था या फिर उसे संचालित कर रहा था, लेकिन तत्कालीन आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा को 26/11 के हमलों के बाद मिशन और फंड में कटौती करनी पड़ी थी. वर्तमान में पाकिस्तान स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी लड़ाई हार चुका है. अगस्त 2021 में ऐतिहासिक जीत के बावजूद हम बलूचिस्तान और अफगानिस्तान में भी असहाय हैं.”
‘मिशन कश्मीर’ के लिए शैतानी सांठगांठ
अधिकारी ने कहा कि आईएसआई लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश मोहम्मद (जेएम), तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कुछ पाकिस्तान समर्थक लड़ाकों और अन्य का इस्लामिक स्टेट विलाया हिंद (आईएसएचपी) के साथ एक नया दुष्ट गठजोड़ बना रहा था. उन्होंने दावा किया कि टीटीपी का नेतृत्व नए समूह में शामिल होने के लिए अनिच्छुक है क्योंकि वे शांति चाहते हैं, लेकिन आईएसआई ‘जिहाद-ए-अज़ीम’ के लिए जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने पर जोर दे रहा है.
अधिकारी ने कहा कि यही एक मुख्य वजह है कि कई दौर की बातचीत और गारंटियों के बावजूद टीटीपी-पाकिस्तान शांति समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है. सूत्र ने कहा, “आईएसएचपी को जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को संचालित करने और ऑपरेशन के लिए लक्ष्य दिए गए हैं. चीन दो मोर्चों पर भारत को शामिल करने के लिए अफगानिस्तान और कश्मीर में कार्रवाई का इच्छुक है.
‘मिशन कश्मीर’ के लिए फंडिंग
अधिकारी के अनुसार, समूह को पाकिस्तान में रहने वाले आतंकियों की जम्मू-कश्मीर में स्थित पैतृक संपत्तियों से धन मिल रहा है. उन्होंने कहा, “सोपोर, कुपवाड़ा और अन्य छोटे गांवों से संबंधित आतंकवादियों की अचल संपत्तियां, जो कि पाकिस्तान से संचालित हो रही हैं, उन्हें बेचा जा रहा हैं और इन बिक्री से हासिल धन को जिहाद के नाम पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संगठनों को दिया जाता है.’ उन्होंने आगे कहा, “जिहाद और आजादी के नाम पर, आईएसआई ने जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के खिलाफ लड़ने के लिए कई कश्मीरी युवाओं को उकसाया और उन्हें प्रशिक्षित किया है.”