उज्जैन के महाकाल लोक गलियारे में क्षतिग्रस्त हुई सप्तऋषि की सात में से छह मूर्तियां, गरमाई सियासत

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भोपाल: उज्जैन के महाकाल लोक गलियारे में रविवार को तेज आंधी के बाद सप्तऋषि की सात मूर्तियों में से छह का क्षतिग्रस्त होना मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सियासी मुद्दा बनता जा रहा है. कांग्रेस महाकाल लोक के निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है वहीं बीजेपी का कहना है कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है.

द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक भगवान महाकाल हैं. महाकालेश्वर शिवलिंग उज्जैन में प्रतिष्ठित है. इस पवित्र नगरी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाकाल लोक परिसर का लोकार्पण किया था. परिसर में वशिष्ठ, विश्वामित्र,कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव और शौनक, यानी सप्तऋषियों की मूर्तियां लगाई गईं.

पूरे महाकाल लोक में करीब 136 मूर्तियां लगाई गई हैं. रविवार को 45 से 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली तो​ सप्तऋषियों की सात में से छह मूर्तियां पेडस्टल से नीचे गिर गईं.

10 से 25 फीट ऊंची मूर्तियों को फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक से बनी हैं. एफआरपी से निर्मित सप्त ऋषियों की मूर्तियां 10 फीट ऊंचे स्तंभ पर स्थापित थीं जो रूद्रसागर, त्रिवेणी मण्डपम एवं कमल कुण्ड के बीच हैं. प्रशासन का कहना है कि तेज आंधी और बारिश का एसर यहां ज्यादा था जिसकी वजह से सप्त ऋषियों की मूर्तियों में से 6 मूर्तियां पेडस्टल से अलग होकर नीचे गिर गईं. 10 फीट की ऊंचाई से गिरने के कारण तीन क्विंटल वजन की यह मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गईं.

कांग्रेस इस मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मामले में सात नेताओं की टीम बनाई जिन्होंने उज्जैन में जांच करके सरकार को कठघरे में खड़ा किया.

कांग्रेस के अनुसार, उज्जैन में जो मूर्तियां बनी हैं वे 150 जीएसएम के नेट की हैं जबकि कायदे से यह 400 जीएसएम की होती हैं. इनमें तीन लेयर होनी चाहिए, इस वजह से स्ट्रेंथ नहीं आई. फाउंडेशन के लिए आयरन का इस्तेमाल नहीं हुआ.

कांग्रेस नेता सज्जन वर्मा ने कहा कि, ”धर्म के क्षेत्र का भ्रष्टाचार हमने अपनी आंखों से देखा. डीपीआर इन्होंने बनाकर दी, वहीं टेंडर हमने जारी कर दिया, ताकि मीन-मेख ना निकालें. 97 करोड़ का टेंडर था. इसका नियम था कुछ बढ़ाना है तो 10 परसेंट बढ़ा सकते हो ऊपर से 97 करोड़ का और दे दिया, 100 परसेंट भ्रष्टाचार का होता है. वर्तमान जज हाईकोर्ट जांच करें.”

कांग्रेस से सज्जन सिंह वर्मा ने मोर्चा संभाला तो बीजेपी ने उन पर ही हमला बोल दिया है. नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा, ”सज्जन सिंह वर्मा जब प्रभारी मंत्री थे तब सारा प्रजेंटेशन हुआ था. प्रोसिडिंग में उनके हस्ताक्षर हैं. चीफ सेक्रेट्री ने, जो हमने टेंडर तैयार किया था, उसकी प्रशंसा की थी. तो आज क्या हो गया. अब खंडित नहीं, नई मूर्ति लगेंगी, माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश हैं.”

कांग्रेस-बीजेपी आरोप-प्रत्यारोप में उलझे हैं, लेकिन तथ्य यह है कि इस काम के लिए टेंडर 4 सितम्बर 2018 को जारी हुआ, जब बीजेपी की सरकार थी. स्वीकृति उज्जैन स्मार्ट सिटी ने 7 जनवरी 2019 को दी, जब कांग्रेस सत्ता में आ गई थी. एलओए (लेटर ऑफ एग्रीमेंट) 25 फरवरी 2019 को मिला, वर्कऑर्डर 7 मार्च 2019 को जारी हुआ. स्कोप ऑफ वर्क में 9 फीट, 10 फीट, 11 फीट एवं 15 फीट ऊंचाई की लगभग 100 एफआरपी की मूर्तियां शामिल थीं. लागत 7 करोड़ 75 लाख रुपये का प्रावधान था.

मूर्तियों की सामग्री की आपूर्ति का भुगतान 13 जनवरी 2020 को, डिजाइनिंग, नक्काशी का भुगतान 28 फरवरी 2020 को और मूर्ति स्थापना के काम का भुगतान 31 मार्च 2021 को किया गया था. सीपेट ने 12 फरवरी 2022 को रिपोर्ट दी, जिसमें एफआरपी सामग्री को मानकों के मुताबिक बताया. आईपीई ग्लोबल ने काम का मूल्यांकन, सत्यापन और पर्यवेक्षण किया. डीएलपी यानी (डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड) में होने की वजह से ठेकेदार मूर्तियां फिर से स्थापित करेगा.

जब महाकाल लोक बना तो बीजेपी ने इसे अपनी उपलब्धि बताया, कांग्रेस ने अपनी. जब मूर्तियां खंडित हुईं तो बीजेपी कांग्रेस का, कांग्रेस बीजेपी का निर्माण बता रही है. जनता कन्फ्यूज है.


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