पिथौरागढ़। भले ही सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी को लेकर कितने ही दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावो की पोल खोल ही देती है। उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य सेवाओं के हाल क्या हैं यह किसी से छुपा नहीं है। एक तरफ केन्द्र और राज्य की सरकारें समय-समय पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करती है वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज तो दूर उन्हें देखने वाला तक कोई नहीं है। कुछ ऐसा ही एक मामला बीते रोज पिथौरागढ़ जिला अस्पताल में सामने आया। दरअसल शुगर लेवल डाउन होने पर यहां जिला अस्पताल में थल निवासी अध्यापक किशन राम को भर्ती कराया गया, लेकिन उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही थी। अध्यापक किशन राम के साथ उनकी पत्नी भी अस्पताल पहुंची थी, रात को अचानक किशन राम को खून की उल्टियां होने लगी, जिसे देखकर उनकी पत्नी घबरा गयी और डॉक्टर के पास पहुंची। बताया जाता है कि इसके बाद अस्पताल में मौजूद कर्मचारियों ने किशन राम को ग्लूकोस चढा दिया, लेकिन फिर भी उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ। जब उनका शुगर लेवल 27 तक पहुंच गया तो एक डॉ. ने किशन राम की पत्नी से उन्हें हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी। जब मरीज किशन राम की पत्नी ने डॉक्टरों से डिस्चार्ज के लिए बोला तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। इस बीच किशन राम की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी, लेकिन वहां मौजूद स्टाफ को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा और किसी ने भी उसकी पीड़ा नहीं समझी। पत्नी डिस्चार्ज को गिड़गिड़ाती रही, लेकिन वहां मौजूद स्टाफ के कानों में जू तक नहीं रेंगी।
मामला जब आवाज 24ग्7 इंडिया के संज्ञान में आया तो संपादक सुनील मेहता ने पिथौरागढ़ जिला अस्पताल की वेबसाइट से कुछ नम्बर निकाले। जब इन नम्बरों पर फोन किया गया तो नम्बर लगे ही नहीं। इसपर संपादक मेहता द्वारा महिला से बात की गयी और वहां मौजूद स्टॉफ से बात करवाने को कहा गया। इसपर महिला ने वहां मौजूद स्टॉफ से बात करने के लिए कहा लेकिन किसी ने भी बात नहीं की। काफी कोशिशों के बावजूद भी जब अस्पताल प्रबंधन से बात नहीं हुई तो आवाज के संपादक सुनील मेहता ने जिलाधिकारी आशीष चौहान को फोन किया और पूरा मामला बताया। इसपर डीएम चौहान ने अस्पताल में बात करने की बात कही। बाद में डीएम चौहान ने मरीज किशन राम की पत्नी को फोन मिलाया और अस्पताल प्रबंधन से बात करवाने के लिए कहा। लेकिन हद तो तब हो गयी जब अस्पताल में मौजूद स्टॉफ ने डीएम से बात करने से मना कर दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम रात में ही अस्पताल के लिए निकल गए। रात को अचानक डीएम के निरीक्षण की खबर से अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मच गया। जिलाधिकारी ने अस्पताल पहुंचकर सबसे पहले मरीजों का हाल जाना और किशन राम से बात की। इसके बाद डीएम चौहान ने अनियमितताएं मिलने पर वहां मौजूद स्टॉफ को लताड़ लगाई और सुधरने की हिदायत दी। इसके बाद डीएम ने मरीज किशन राम को सभी सुविधाओं के साथ सकुशल हल्द्वानी एम्बुलेंस द्वारा पहुंचाया। इस दौरान अस्पताल में भर्ती एक बच्चे की हालत गम्भीर बनी हुई थी उसके परिजनों की आर्थिक स्थिति भी ठीक नही थी। डीएम आशीष चौहान ने बच्चे के परिजनों को 5 हज़ार की आर्थिक सहायता देकर बच्चे को भी हल्द्वानी भिजवाया। इस दौरान मरीज किशन राम की पत्नी ने आवाज के संपादक सुनील मेहता का आभार जताया और डीएम चौहान की सराहना की। उधर आज जब यह मामला सोशल मीडिया पर चला तो सभी ने डीएम चौहान की तारीफ की और हर जिले में ऐसे ही अधिकारी की तैनाती होने की बात कही।