नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के सफाए के लिए सुरक्षाबलों का अभियान जारी है। अभियान के तहत आज आतंकियों से हुई मुठभेड़ में 2 पुलिसकर्मी और सेना का एक जवान घायल हो गया। इस दौरान नदीमर्ग नरसंहार का मास्टरमाइंड जिया मुस्तफा भी मारा गया। उसे आतंकी ठिकाने की पहचान के लिए भाटा दुरियां ले जाया गया था, लेकिन फायरिंग और आगजनी के बीच उसे वहां से निकाला नहीं जा सका और बाद में उसका शव बरामद किया गया। पुलिस के अनुसार पाकिस्तानी आतंकी और लश्कर ए तैयबा से संबंधित जिया मुस्तफा को चल रहे ऑपरेशन के दौरान आतंकवादी ठिकाने की पहचान के लिए भाटा दुरियां ले जाया गया था। इसी दौरान आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें हमारे जवान घायल हो गए और आतंकी जिया मुस्तफा को भी चोटें आईं। भारी आग होने की वजह से उसे घटनास्थल से बाहर नहीं निकाला जा सका। शनिवार को मुस्तफा को पुलिस द्वारा 10 दिन की रिमांड पर लिया गया था। उसे साल 2003 में जम्मू कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह मार्च 2003 में कश्मीरी पंडितों के नदीमर्ग पर हुए नरसंहार का मास्टरमाइंड था। श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन डीजीपी एके सूरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुस्तफा की गिरफ्तारी की घोषणा 10 अप्रैल 2003 को की थी। उन्होंने बताया था कि मुस्तफा लश्कर-ए-तैयबा का जिला कमांडर था और 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या में शामिल था, जो पुलवामा जिले के गांव नदीमर्ग में अपने घरों में रह रहे थे। पुलिस प्रमुख ने कहा था कि मुस्तफा के पास से एक एके राइफल, गोला-बारूद, एक वायरलेस सेट और दस्तावेज भी मिले हैं। कहा जाता है कि मुस्तफा ने पुलिस पूछताछ में बताया था कि उसे पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा नेतृत्व ने नरसंहार को अंजाम देने के लिए कहा था।