देहरादून।। उत्तराखण्ड की राजनीति में आज एक बड़ा दलबदल हुआ। इस दलबदल ने जहां कांग्रेस को संजीवनी देने का काम किया है तो वहीं भाजपा के लिए यह एक बड़ा झटका है। दरअसल आज भाजपा के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके पुत्र नैनीताल विधायक संजीव आर्य ने एक बार फिर कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया है। हांलाकि यशपाल आर्य ने पहली बार दलबदल नहीं किया है इससे पहले 2017 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने हरदा का हाथ छोड़ते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था, लेकिन अब एक बार फिर उनकी घर वापसी हुई है। अपने बेटे संजीव आर्य के साथ आज उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। उनके कांग्रेस में जाने के बाद सोशल मीडिया पर बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। कुछ लोगों ने जैसी करनी वैसी भरनी कहते हुए भाजपा पर निशाना साधा। लोगों का कहना था कि 2017 में भाजपा ने भी ऐसा ही किया था उसी का फल आज भाजपा को मिला है। वहीं कुछ लोगों ने यशपाल आर्य और संजीव को दलबदलू कह दिया। इसको लेकर पक्ष और विपक्ष के लोगों ने भी सोशल मीडिया पर अपनी-अपनी प्रतिक्रियाए दीं। बता दें कि 2017 में संजीव आर्य ने उस समय कांग्रेस छोडी थी जब हरीश रावत संकट के दौर से गुजर रहे थे। इस दौरान यशपाल आर्य ही नहीं कई कांग्रेसी नेता भाजपा में शामिल हो गये थे। और इसके बाद उत्तराखण्ड में बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनी। हांलाकि इन पांच सालों मंे भाजपा ने तीन-तीन मुख्यमंत्री बदल दिए। बताया जाता है कि यशपाल आर्य भाजपा में जाने के बाद से ही अपने आप को अलग-थलग किए हुए थे। समय-समय पर उनकी नाराजगी भी खुलकर सामने आती रहती थी। अब उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता लेकर भाजपा के प्रति अपनी नाराजगी खुलकर सबके सामने रख दी। चर्चा तो यहां तक है कि यशपाल आर्य के बाद कुछ और नेता भी जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए थे वह फिर से कांग्रेस में आ सकते हैं। सूत्रों की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आगामी चुनावों को लेकर हर हथकण्डा अपना रहे हैं।