नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जल जीवन मिशन पर ग्राम पंचायतों और पानी समितियों, ग्राम जल और स्वच्छता समितियों के साथ बातचीत की। उन्होंने हितधारकों को और जागरूक बनाने तथा मिशन के तहत योजनाओं की अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए जल जीवन मिशन ऐप का शुभारंभ किया। उन्होंने राष्ट्रीय जल जीवन कोष की भी शुरुआत की, जहां कोई भी व्यक्ति, संस्था, निगम, या परोपकारी, चाहे वह भारत में हो या विदेश में, प्रत्येक ग्रामीण घर, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, आश्रम शाला और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में नल से जल पहुँचाने में मदद करने के लिए योगदान दे सकता है। इस अवसर पर ग्राम पंचायतों एवं पानी समितियों के सदस्यों सहित केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, प्रहलाद सिंह पटेल, बिश्वेश्वर टुडू, राज्यों के मुख्यमंत्री एवं मंत्री उपस्थित थे। समितियों से बातचीत करते हुये प्रधानमंत्री ने उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के उमरी गांव के श्री गिरिजाकान्त तिवारी से उनके गांव में जल जीवन मिशन के प्रभाव के बारे में पूछा। श्री तिवारी ने बताया कि अब साफ और स्वच्छ पानी उपलब्ध है तथा इसके कारण गांव की महिलाओं के जीवन में भी सुधार आया है। प्रधानमंत्री ने श्री तिवारी से पूछा कि क्या उनके गांव वालों को यह भरोसा था कि उन्हें नल द्वारा पानी मिलने लगेगा और अब वे कैसा महसूस करते हैं। श्री तिवारी ने बताया कि गांव के हर घर में शौचालय बन गये हैं और सभी उनका इस्तेमाल करते हैं। प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड के ग्रामीणों की उनके समर्पण के लिये सराहना की और कहा कि महिलायें शक्ति सम्पन्न हो रही हैं तथा प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला और जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं के जरिये उन्हें वह सम्मान मिल रहा है, जिसकी वे हकदार हैं।प्रधानमंत्री ने गुजरात के पिपली गांव के श्री रमेशभाई पटेल से उनके गांव में पानी की उपलब्धता के बारे में सवाल किया। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या पानी की गुणवत्ता की नियमित रूप से जांच होती या नहीं। श्री रमेशभाई ने बताया कि पानी की गुणवत्ता बढ़िया है और गांव की महिलायें खुद पानी की गुणवत्ता की जांच करने के लिये प्रशिक्षित हो चुकी है। प्रधानमंत्री ने पूछा कि लोगों को पेयजल के लिये भुगतान करना पड़ता है या नहीं। श्री रमेशभाई ने बताया कि पानी के मूल्य के बारे में गांवों को स्पष्ट जानकारी है और उसके लिये भुगतान करने के लिये सब राजी हैं। प्रधानमंत्री ने पानी बचाने के लिये स्प्रिंक्लरों और पानी की बूंद-बूंद द्वारा (ड्रिप) सिंचाई के बारे में सवाल किया। प्रधानमंत्री को बताया गया कि गांव में सिंचाई के लिये अभिनव तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। स्वच्छ भारत 2.0 का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों ने स्वच्छता अभियान को अत्यधिक समर्थन दिया है और उन्हें उम्मीद है कि जल जीवन मिशन को भी यही सफलता मिलेगी। प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड की कौशल्या रावत से जल जीवन मिशन के पहले और बाद में पानी की उपलब्धता के बारे में सवाल किया। श्रीमती रावत ने भी बताया कि जल जीवन मिशन के जरिये पानी उपलब्ध होने से पर्यटकों ने उनके गांव में आना शुरू कर दिया है और वहां घरों में ठहरने भी लगे हैं। उन्होंने बताया कि उनके गांव का पूरी तरह टीकाकरण हो चुका है। प्रधानमंत्री ने वन-संवर्धन, पर्यटन में सुधार और होम-स्टे जैसी गतिविधियों को अपनाने के लिये श्रीमती रावत और गांवों की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के वेल्लेरी की श्रीमती सुधा से जल जीवन मिशन के प्रभाव के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि मिशन के शुरू होने के बाद से सभी घरों में नल द्वारा पीने का पानी मिलने लगा है। प्रधानमंत्री ने उनके गांव में तैयार की जाने वाली विश्व-प्रसिद्ध अरनी सिल्क साड़ी के बारे में पूछा। प्रधानमंत्री ने यह भी पूछा कि क्या पानी का कनेक्शन मिलने से घर के दूसरे कामों के लिये उन्हें समय मिलता है कि नहीं। श्रीमती सुधा ने बताया कि पानी की उपलब्धता ने उन सबके जीवन में सुधार किया है और उनके पास अन्य रचनात्मक गतिविधियों के लिये समय रहता है। उन्होंने बताया कि उनके गांव में कच्चे बांधों, पोखरों, आदि के निर्माण के जरिये बरसात के पानी को बचाने जैसी गतिविधियां चल रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों द्वारा जल मिशन को अपनाना महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है।