चमोली। नंदासैण वन आंदोलन की 36वीं वर्षगांठ पर लोकपर्व हरेला के अंतर्गत पितृ वन की शुरुआत की गई। जिसके तहत 31 जुलाई तक क्षेत्र के 36 गॉवों में पितृ वन की स्थापना पूरी की जाएगी। इस अवसर पर आज क्षेत्रीय महिला मंगल दलों द्वारा पर्यावरण जागरुकता रैली भी निकाली गयी और वृहद वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया। बता दें कि धरती को हराभरा व पर्यावरण को साफ और सुन्दर बनाये जाने को लेकर आज से 36 साल पहले नंदासेंण में वृक्षारोपण करने के लिए वृहत अभियान चलाया गया था। जिसका उद्देश्य चीड़ के जंगलों को समाप्त कर बांज बुरांस के पौधों का रोपण करना था। धीरे-धीरे इस मुहिम ने वन आंदोलन का रूप ले लिया। नतीजन लोगों में पर्यावरण के प्रति एक सकारात्मक जागरुकता आने लगी। फलस्वरूप लोग वृक्षारोपण करने में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने लगे। आज वन आंदोलन की 36वीं वर्षगाँव के अवसर पर क्षेत्रीय जनता के द्वारा क्षेत्र में वृक्षारोपण किया गया। इस दौरान महिलाओं ने पर्यावरण जागरूकता रैली के माध्यम से जंगलो को बचाने व वन्य जीवों की रक्षा करने का भी सन्देश दिया। वन आंदोलन की 36वीं वर्षगाँव पर 36 वन पंचायतों में आज से पितरों की याद में पितृ वन की स्थापना शुरू हुई। वन आंदोलन सिमिति के संस्थापक भुवन नौटियाल ने कहा कि 31 जुलाई तक 36 गांवों में पितृ वनों की स्थापना का कार्य पूरा कर दिया जाएगा। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक पेड़ मा के नाम कार्यक्रम को भी आगे बढाने का कार्य किया जाएगा।