वैसे तो परिवहन निगम एक ऐसा विभाग है जिसकी आय रोजाना नकद रूप में आती है,उसके बाद भी परिवहन निगम लगातार घाटे में जा रहा है।आलम यह है कि निगम के कर्मचारियों को समय पर तनख्वाह भी नहीं मिल पाती है। ऐसे में परिवहन निगम के अधिकारियों की लापरवाही के कारण निगम को रोजाना नुकसान उठाना पड़ रहा है।परिवहन निगम की बसों के फास्टैग में रिचार्ज ना होने के कारण बसों को टोल पर नकद भुगतान करना पड़ रहा है। नए टोल नियमों के अनुसार नगद भुगतान करने पर दोगुनी राशि जमा करनी पड़ती है।इस मामले में उत्तरांचल परिवहन मजदूर संघ के क्षेत्रीय मंत्री गौरव गुप्ता से बात करने पर उन्होंने बताया कि उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों के खाते में न्यूनतम बैलेंस होने के कारण विभाग को हर टोल पर दोगुना भुगतान करना पड़ रहा है। जिस कारण प्रतिदिन निगम को लाखों का नुकसान हो रहा है।गौरव गुप्ता ने इसे सीधे-सीधे उच्च अधिकारियों की लापरवाही करार देते हुए कहा कि एक ओर तो कर्मचारियों को समय से वेतन नहीं मिल रहा है, दूसरी ओर निगम के उच्च अधिकारी इस तरह की लापरवाही कर निगम को लगातार गड्ढे में धकेल रहे हैं।