उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने के बाद देश में तलाशी जाएगी संभावनाएं! विपक्ष दाग रहा सवाल

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उत्तराखंड में जल्द ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने जा रहा है। यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। ऐसे में शुक्रवार यानी आज समिति मुख्यमंत्री आवास में सीएम धामी को ड्राफ्ट सौंपने जा रही है। ड्राफ्ट मिलने के बाद सरकार प्रदेश में यूसीसी को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेगी। प्रदेश में जैसे-जैसे यूसीसी के लागू होने का समय नजदीक आ रहा है, विपक्षी दलों समेत तमाम संगठन के लोग इस पर नजर बनाए हुए हैं। प्रदेश में यूसीसी लागू होने के बाद देश में यूसीसी को लागू करने की संभावना तलाशी जाएगी।

उत्तराखंड सरकार ने जब प्रदेश में यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए समिति का गठन किया था तो उस दौरान विपक्षी दलों समेत तमाम संगठनों ने इसका विरोध किया था। ऐसे अब जब धामी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में यूसीसी को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रही है तो विपक्ष तमाम सवाल खड़े कर रहा है। यहां तक कहा जा रहा है कि यह विषय राज्य का नहीं बल्कि केंद्र सरकार का विषय है। साथ ही विपक्ष और तमाम संगठन अब यूसीसी का ड्राफ्ट मिलने के बाद आगे की रणनीति को तैयार करने की बात कह रहे हैं। ताकि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ विपक्षी दल भी यूसीसी के मुद्दे को भुना सके। भाजपा प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने कहा कि वर्तमान समय में उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने जा रहा है और गोवा में यूसीसी लागू है। देश की आजादी के बाद यूसीसी को लागू करना देश के बड़े-बड़े नेताओं की मांग रही है। लेकिन अन्य सरकारें आती रही और उन्होंने तुष्टिकरण के कारण सनातन और देश का गला घोटने का काम किया। लेकिन आज लगता है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के माध्यम से सभी को बराबर का हक मिलेगा. कानून और संविधान पूर्ण तरीके से अपना काम कर सकेगा। उत्तराखंड राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद देश में यूसीसी लागू करने की संभावना तलाशी जाएगी। उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने के बाद देश में यूसीसी को लागू करने की संभावनाओं को तलाशने के सवाल पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का सब्जेक्ट केंद्र सरकार का है और ये बात सभी पढ़े-लिखे लोग जानते हैं। लेकिन केवल उत्तराखंड में लागू करने से क्या होगा, जबकि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली समेत अन्य राज्यों में लागू नहीं हो रहा है तो क्या फायदा है ऐसे यूसीसी का? साथ ही कहा कि अभी तक ड्राफ्ट सार्वजनिक नहीं किया गया है। अगर ड्राफ्ट मिल जाता तो पढ़े लिखे लोग उसको पढ़ लेते कि आखिर उसमें क्या प्रावधान है। साथ ही कहा कि अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड का लोगों पर फर्क पड़ेगा तो विपक्ष उसका विरोध करेगी। लेकिन अगर यह राष्ट्र हित में होगा, इससे किसी को फर्क नहीं पड़ेगा तो विपक्ष इसका समर्थन भी कर सकती है।


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