पुणे. शरद पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष पद पर बने रहने का फैसला लेने के एक दिन बाद शनिवार को महाराष्ट्र के पुणे जिले स्थित अपने गृह क्षेत्र बारामती पहुंचे. यहां पार्टी कार्यकर्ताओं ने शरद पवार को एनसीपी प्रमुख बने रहने के फैसले के लिए धन्यवाद दिया. वहीं पवार ने मीडिया से बातचीत में अपना इस्तीफा वापस लेने के पीछे की वजह और अपनी आगे की रणनीति भी बताई.
शरद पवार ने अध्यक्ष पद छोड़ने की मंशा के पीछे की वजह बताते हुए हा, ‘राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी से मुक्त होने के लिए मैंने सोच-समझकर खुद को तैयार किया था. मेरे पास अभी भी संसद में 3 साल और हैं और मैं भविष्य में एक अच्छी टीम बनाने के विचार में था जो राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एनसीपी की जिम्मेदारी ले सके. इसलिए मैंने एक तरफ कदम बढ़ाने और अगली पीढ़ी को मौका देने के बारे में सोचा.’
शरद पवार ने बताया आगे का कदम
एनसीपी प्रमुख ने इसके साथ ही कहा, ‘मुझे नहीं पता था कि मेरी पार्टी मेरे इस्तीफे पर इतनी कड़ी प्रतिक्रिया देगी. कई राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने भी मुझसे अपना फैसला वापस लेने का अनुरोध किया. .दो दिनों तक विचार करने के बाद भी मैं अपने फैसले पर अटल नहीं रह पाया.’
उन्होंने बताया, ‘एक साल के भीतर आम चुनाव होने हैं. लोगों ने मुझे बोला कि ऐसे में मेरा साइड हटना ठीक नहीं रहेगा. इसके चलते मुझे अपना फैसला वापस लेना पड़ा. हम विपक्ष को एकजुट करने पर काम कर रहे हैं.’
‘अजित पवार के बारे में जो बोला जाता है, वैसे नहीं हैं’
वहीं अजित पवार की नाराजगी की खबरों पर शरद पवार ने कहा, ‘अजित पवार के बीजेपी के साथ जाने की चर्चा थी, लेकिन वैसा कुछ हुआ क्या? अजित पवार का फील्ड में काम करना ही नेचर है. अजित पवार को मीडिया में आने की चिंता नहीं है. उनके बारे में जो बोला जाता है, वह वैसे नहीं हैं.’
बता दें कि शरद पवार ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के बढ़ते दबाव के बाद शुक्रवार को एनसीपी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का अपना फैसला वापस ले लिया था. अपनी कुशल राजनीतिक पैंतरेबाज़ी के लिए जाने जाने वाले 82 वर्षीय मराठा दिग्गज ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि महाराष्ट्र और देश भर के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनसे पार्टी अध्यक्ष के रूप में बने रहने का अनुरोध किया था.
पवार का 63 साल का लंबा राजनीतिक करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. उन्होंने कहा कि वह अपने सहयोगियों और पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का अपमान नहीं कर सकते, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वह अपना फैसला वापस ले लें. (एजेंसी इनपुट के साथ)