उत्तराखण्ड। उत्तराखण्ड की धामी सरकार ने 21वे राज्य स्थापना दिवस के कार्यक्रम को भव्य बनाने व कार्यक्रम को सीधे जनता से जोड़ने का पूरा प्रयास किया है।इसके लिए धामी सरकार ने प्रदेश के 5 ऐसे व्यक्तियों को उत्तराखण्ड गौरव सम्मान देने का फैसला किया जिनके कारण प्रदेश का नाम ऊंचा हुआ हो,इसके लिए धामी सरकार ने बकायदा पत्र जारी कर सभी जिलों के जिलाधिकारियों के माध्यम से नाम मंगाए। सभी जिलों से नाम प्राप्त करने के बाद एक समिति ने प्रदेश में 5 नाम तय कर उन्हें पुरस्कृत करने की घोषणा की।
इन पांच नामो में सबसे मुख्य नाम उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री स्व० नारायण दत्त तिवारी का है,जिन्हें उत्तराखण्ड सरकार द्वारा मरणोपरांत उत्तराखण्ड गौरव सम्मान देने का फैसला किया है।
अब सियासी विद्वान इस फैसले को धामी सरकार का मास्टर स्ट्रोक बता रहे है।राजनीति के जानकारों का कहना है कि नारायण दत्त तिवारी को मरणोपरांत सम्मान देकर एक ओर तो धामी सरकार ने यह दिखा दिया कि उत्तराखण्ड के लिए अच्छा काम करने वाले विपक्ष के नेताओ का वो पूरा सम्मान करते हैं तो वहीं दूसरी ओर हरीश रावत को भी यह बताने की कोशिश कर दी कि वे खुद को उत्तराखण्ड का अब तक का सबसे बड़ा नेता न समझें,जो हरीश रावत समय-समय पर इशारों-इशारों में कहते रहते हैं।
मालूम हो कि नारायण दत्त तिवारी उत्तराखण्ड में अब तक एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री है जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया है।हरीश रावत समेत उत्तराखण्ड कॉंग्रेस के कई नेताओ पर लगातार यह आरोप लगते रहते है कि उन्होंने कभी नारायण दत्त तिवारी को वह सम्मान नही दिया जिसके वे हकदार थे,ऐसे में धामी सरकार ने तिवारी को सम्मान देने की घोषणा कर नारायण दत्त तिवारी के समर्थकों को साधने का भी प्रयास किया है