उत्तराखण्ड। 22 दिसंबर को उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा किए गए ट्वीट के बाद कांग्रेस पूरी तरह से हिल गई थी।हरीश रावत के ट्वीट के बाद कांग्रेस के देहरादून नेतृत्व से लेकर दिल्ली नेतृत्व तक सकते में आ गया था।ट्वीट प्रकरण से पैदा हुए राजनीतिक घटनाक्रम का अब पटाक्षेप होता दिख रहा है।
आज दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा और विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन आदि प्रदेश नेताओं ने राहुल गांधी से मुलाकात की।
चुनाव से पहले हुई सिर-फुटव्वल को शांत कराने के लिए कांग्रेस को बैठक बुलानी पड़ी।इस बैठक में हरीश रावत का दर्द साफ देखने को मिला।हरीश रावत का कहना था कि चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष होने के बावजूद वो न तो चुनाव को प्लान कर पा रहे हैं और ना ही लीड कर पा रहे।
जानकारी के अनुसार राहुल गांधी ने हरीश रावत को कैंपेन कमेटी अध्यक्ष होने के नाते विधानसभा चुनाव लीड करने को फ्री हैंड देने को कह दिया है,परन्तु प्रदीप टम्टा,हरीश धामी जैसे नेताओं की हरीश रावत को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किये जाने की मांग को राहुल गांधी ने खारिज कर दिया।पार्टी ने फिर दोहराया है कि चुनाव किसी चेहरे पर नहीं लड़ा जाएगा और बहुमत आने पर मुख्यमंत्री का फैसला कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी।साथ ही यह भी साफ कर दिया कि प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव बने रहेंगे और जल्द ही चुनाव का ऑब्ज़र्वर भी घोषित किया जाएगा,सम्भावना जताई जा रही है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को यह ज़िम्मा दिया जा सकता है।