उत्तराखण्ड।जैसे जैसे 2022 नजदीक आ रहा है सभी राजनीतिक दलों ने अपनी ताकत झौंकना शुरू कर दिया है।एक ओर कांग्रेस हरीश रावत के अघोषित चेहरे को लेकर चुनाव में उतर रही है तो आम आदमी पार्टी भी नई नई घोषणाओं,दिल्ली मॉडल पर कर्नल कोठियाल के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है।
कांग्रेस जहां अपने कार्यकाल को भाजपा के वर्तमान कार्यकाल से बेहतर बता रही है और भाजपा पर प्रदेश की उपेक्षा व विकास कार्यो में शिथिलता बरतने का आरोप लगा रही है तो वही आम आदमी पार्टी भाजपा व कांग्रेस को एक ही सिक्के के दो पहलू कहकर दोनो दलों पर हमलावर है।ऐसे में भाजपा के सामने 2017 में मिले प्रचंड बहुमत को बचाने व पुनः सत्ता में वापस आने की चुनौती है।
प्रचंड बहुमत प्राप्त होने के बाद भी 5 साल में 3 मुख्यमंत्री बदलने पर भी भाजपा को जवाब देता नही बन रहा है ऐसे में अब भाजपा फिर से हिंदुत्व के सहारे जाते हुए दिख रही है।
भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह भी कुछ दिनों पूर्व उत्तराखण्ड दौरे पर आये थे जिस दौरान उन्होंने हरिद्वार जाकर साधु-संतों से विशेष तौर पर बैठक व विचार विमर्श किया था,उसके बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से केदारनाथ दौरा किया और केदारनाथ से अपने खास लगाव का जिक्र किया उससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा एक बार फिर से अपने हिंदुत्व के मुद्दे को भुनाने में लगी है,जिसका लाभ वो न केवल उत्तराखण्ड बल्कि अन्य राज्यो में होने वाले चुनावो में भी उठाना चाहती है।
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा उत्तराखण्ड 2022 में ईव मुख्यमंत्री और 5 साल के विकास कार्यो के आधार पर चुनाव में उतरती है या हिंदुत्व के आधार पर।
