देश के राष्ट्रपति का ऐलान होते ही द्रोपदी मुर्मू ने पद सँभालने और प्रतिभा पाटिल के बाद देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति होने के सम्मान के अलावा पांच अन्य रिकॉर्ड भी बनाये है. देश के 31 मतदान केंद्रों पर हुई मतगणना के मतपत्रों की गिनती संसद भवन परिसर में हुई . जिसमे
मुर्मू को करीब एक हजार से ज्यादा सांसदों के वोट हासिल हुए और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा 500 के करीब वोट हासिल हुए.
भाजपा जीत को लेकर पहले ही आश्वस्त थी और जश्न की तैयारियां भी शुरू कर दी थी .
पहला रिकॉर्ड यही है कि वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचने वाली पहली आदिवासी महिला नेता होंगी. मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले में संथाल समुदाय के गरीब आदिवासी परिवार में हुआ है. देश में अभी तक कोई आदिवासी न तो प्रधानमंत्री और न ही राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचा है. हालांकि देश को केआर नारायणन और रामनाथ कोविंद के रूप में 2 दलित राष्ट्रपति मिल चुके हैं.
दूसरा रिकॉर्डः द्रौपदी मुर्मू ऐसी पहली राष्ट्रपति होंगी, जो आजादी के बाद देश में पैदा हुईं. 1947 में देश को आजादी मिलने के करीब 11 साल बाद द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को हुआ था. देश में अब तक जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं, वो सब 1947 से पहले पैदा हुए थे. मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से ऐसा पहली बार हुआ , जब देश में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की कुर्सी पर ऐसे व्यक्ति होंगे, जिनका जन्म आजाद भारत में हुआ है.
तीसरा रिकॉर्डः सबसे युवा राष्ट्रपति बनने का खिताब भी मुर्मू के नाम हुआ . देश में सबसे कम उम्र में राष्ट्रपति बनने का रिकॉर्ड नीलम संजीव रेड्डी के नाम है, जो 1977 में निर्विरोध राष्ट्रपति बने थे. राष्ट्रपति पद संभालते वक्त रेड्डी की उम्र 64 साल, 2 महीने और 6 दिन थी. वहीं, 20 जून 1958 को जन्मी द्रौपदी मुर्मू की उम्र 25 जुलाई 2022 को पद संभालने के समय 64 साल ,1 महीना और 8 दिन होगी.
चौथा रिकॉर्ड: ऐसा पहली बार हुआ , जब किसी समय पार्षद रह चुका कोई व्यक्ति भारत में राष्ट्रपति पद तक पहुंचा . द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत का पार्षद बनने के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. इसके तीन साल बाद 2000 में वह पहली बार विधायक बनीं. उन्होंने ओडिशा की बीजेडी-बीजेपी सरकार में दो बार मंत्री पद भी संभाला है.
पांचवां रिकॉर्डः द्रौपदी मुर्मू की जीत के साथ ही ओडिशा का नाम भी उन राज्यों में शामिल हो गया , जहां के लोग देश में सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचे हैं. अब तक राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठे लोगों में से 7 दक्षिण भारत के रहे हैं. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बिहार से थे.
मुर्मू के पक्ष में हुई क्रॉस वोटिंग
अधिकारियों के मुताबिक सभी सांसदों के वोटों की गिनती पूरी होने के बाद उसमें से 15 सांसदों के वोट अमान्य पाए गए थे. वहीं राष्ट्रपति चुनाव में आठ सांसदों ने वोट नहीं डाला. अधिकारियों ने बताया कि इस राष्ट्रपति चुनाव में हर सांसद के वोट का मूल्य 700 है और मुर्मू को मिले कुल मतों का मूल्य 5,23,600 हासिल है, जो कि सांसदों के कुल वैध मतों का 72.19 प्रतिशत है, यह उनके पक्ष में कुछ क्रॉस वोटिंग के संकेत देता है.
मुर्मू को आधिकारिक रूप से समर्थन देने वाले दलों की संख्या बल के अतिरिक्त उन्हें पांच से छह और सांसदों के वोट मिलने का अनुमान है. चुनाव से पहले विभिन्न दलों के 538 सांसदों ने मुर्मू को अपना समर्थन दिया था, लेकिन उनमें से कुछ ने वोट नहीं दिया. दूसरी ओर, सिन्हा के कुल वोटो का मूल्य 1,45,600 था, जो कुल वैध मतों का 27.81 प्रतिशत है. अधिकारियों ने बताया कि मतगणना के दूसरे दौर में विधायकों के मतों की गिनती हुई है.
देश के नए राष्ट्रपति का शपथग्रहण 25 जुलाई को होना है. उससे एक दिन पहले यानी 24 जुलाई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल खत्म हो रहा है.