उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के पहले वाइब्रेंट विलेज गुंजी में सेब की फसल लहलहाने लगी है। तीन वर्ष पूर्व उद्यान विभाग ने ग्रामीणों को सेब के पौध उपलब्ध कराये थे। साढ़े दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित गुंजी गांव में उत्पादित होने वाला सेब स्वाद में विशेष है। उच्च हिमालय में स्थित गुंजी गांव में एक दशक पूर्व तक सेब का अच्छा खासा उत्पादन होता था, लेकिन बाजार में सस्ते हिमाचली सेब की आवक से ग्रामीणों ने सेब उत्पादन पर ध्यान कम कर दिया, जिससे गांव में सेब का उत्पादन बहुत कम रह गया।
सीमित पेड़ों से ग्रामीण सिर्फ अपने लिये ही सेब का उत्पादन कर रहे थे। गुंजी गांव के सड़क से जुड़ जाने के बाद उद्यान विभाग ने गांव में सेब उत्पादन को पुनर्जीवित करने की योजना तैयार की। इसके लिए उम्दा क्वालिटी के डेलीसस सेब के पौध हिमाचल से मंगाये गये। ग्रामीणों को निशुल्क पौध उपलब्ध कराई गई। तीन वर्ष बाद पेड़ सेब से लद गये हैं। इस वर्ष गांव में दो से ढाई कुंतल तक सेब उत्पादन की उम्मीद है। अभी सेब तोड़ा नहीं गया है। गुंजी गांव के निवासी टीएस गुंज्याल ने बताया कि गुंजी गांव में उत्पादित सेब पूरी तरह जैविक है, सेब उत्पादन में किसी तरह का केमिकल इस्तेमाल नहीं किया गया है, उन्होंने बताया कि जैविक सेब की बाजार में अच्छी मांग है। सड़क बन जाने से सेब अब आसानी से बाजार तक पहुंच सकेगा, इससे किसानों की आमदनी में इजाफा होगा। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में सेब का उत्पादन और बढ़ेगा और सेब उत्पादन से वाइब्रेंट विलेज गुंजी की पहचान और समृद्ध होगी। केंद्र सरकार ने हाल में सुरक्षाबलों को अपने आसपास के क्षेत्रों से स्थानीय उत्पादों को खरीदने के निर्देश जारी किये हैं।एसएसबी लोकल उत्पादकों से सब्जी, फल आदि खरीद रही है। सीमा क्षेत्र में तैनात जवानों के लिये ताजे फलों की डिमांड वर्ष भर रहती है। गुंजी क्षेत्र के आसपास सेना, आईटीबीपी और एसएसबी तैनात है। गांव में होने वाला सेब सुरक्षा बलों में ही खप जाने की उम्मीद है।