उत्तराखंड में सेंट्रल ब्यूरो का इन्वेस्टिगेशन की टीम पिछले कुछ दिनों में बेहद ज्यादा सक्रिय हो गई है। यही कारण है कि पिछले एक हफ्ते में सीबीआई तीन बार वन विभाग के मुख्यालय में दस्तक दे चुकी है.उधर कॉर्बेट में भी सीबीआई ने स्थलीय रूप से जांच की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। उधर इस पूरी जांच के दौरान फिलहाल तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं। सीबीआई ने पाखरों रेंज में अवैध कटान मामले में सबूत जुटाने शुरू कर दिए हैं। सीबीआई की टीम ने इस प्रकरण में बेहद तेजी से अपनी जांच को आगे बढ़ाया है और कुछ ही दिनों में वन विभाग के मुख्यालय से लेकर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरों रेंज तक अपनी जांच को शुरू कर दिया है। सीबीआई की टीम पिछले एक हफ्ते में तीन बार वन मुख्यालय में पहुंचकर विभाग के बड़े अधिकारियों से बात कर चुकी है। शनिवार को भी करीब 2 बजे सीबीआई की टीम वन विभाग के मुख्यालय में पहुंची और कई घंटे तक पीसीसीएफ हॉफ से इस मामले पर बात की। जानकारी के अनुसार करीब 2 घंटे से ज्यादा तक चली इस बातचीत के दौरान वित्त से जुड़े दस्तावेजों की जानकारी ली गई।
सीबीआई के वन मुख्यालय में पहुंचने के बाद जो दस्तावेज चाहे गए उनको भी वन मुख्यालय में खंगालना शुरू कर दिया गया। सीबीआई के जाने के बाद विभाग के तमाम बड़े अधिकारी भी पीसीसीएफ के दफ्तर में जुटे जबकि इसके बाद कई फाइलें भी PCCF के कार्यालय में भेजी गईं। वैसे सीबीआई पहले भी दो बार वन मुख्यालय में पहुंच चुकी है। इस दौरान फील्ड विजिट करने से लेकर दस्तावेजों से जुड़ी जानकारी भी सीबीआई की तरफ से ली गई थी। हालांकि इस मामले को सीबीआई की टीम पाखरों रेंज में भी पहुंची और तमाम दस्तावेजों को खंगाला। इसके अलावा पाखरों में कुछ अधिकारियों से भी सीबीआई ने इस पूरे प्रकरण को लेकर बात की है। हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई जांच के आदेश दिए जाने के बाद सीबीआई ने इस पर तेजी से जांच को आगे बढ़ाया है और जिस दौरान यह पूरी जांच वन मुख्यालय से लेकर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व तक चल रही है। इस दौरान तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं। इस प्रकरण में सीबीआई के लिए उसे रहस्य को खोलना सबसे बड़ी चुनौती है जिसे विजिलेंस भी नहीं खोल पाई है। दरअसल पाखरों मामले में करीब 6 हजार पेड़ काटे जाने की बात कही जाती रही है। लेकिन विजिलेंस 6 हजार पेड़ कटने के बाद इन्हें कहां भेजा गया और इतनी बड़ी संख्या में पेड़ कैसे ट्रांसपोर्ट किए गए इसका खुलासा नहीं कर पाई है। उधर हरक सिंह रावत समेत तमाम वन विभाग के अधिकारी यह दावा करते रहे हैं कि इस क्षेत्र में 6 हजार पेड़ नहीं काटे गए हैं यानी एफसीआई की रिपोर्ट पर भी संदेह जताया जाता रहा है।