उत्तराखंड में नकली दवा बनाने वाली कंपनियों पर शिकंजा! तीन साल में 72 लोगों पर मुकदमा दर्ज

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उत्तराखंड में खाद्य पदार्थों में मिलावट करने के साथ ही खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने नकली दवा बनाने वाली कंपनियों पर शिकंजा कसा है। तीन साल में 72 लोगों पर मुकदमा दर्ज कर 32 को जेल भेजा गया।दिसंबर 2023 से मार्च 2024 तक की गई कार्रवाई में विभाग ने दवाइयों के 281 सैंपलों की जांच की। जिसमें 47 सैंपल फेल पाए गए। इस विभाग की ओर से चार लाइसेंस रद्द और 14 निलंबित किए गए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर विभाग की ओर से चारधाम यात्रा मार्गों पर मिलावटखोरी के साथ पयर्टन स्थलों में मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण खाद्य पदार्थों व दवाइयों की गुणवत्ता जांच की जा रही है। खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त व सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार अभियान की निगरानी करने के साथ अधिकारियों को दिशा निर्देश दे रहे हैं। उधर, अपर आयुक्त एवं ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया, दवा निर्माताओं के साथ ही दवाइयों के थोक और फुटकर विक्रेताओं पर भी कार्रवाई की जा रही है। विभाग दवाइयों पर अनावश्यक छूट देने वाले रिटेलरों पर निगरानी रख रहा है। दवाइयों पर अनावश्यक छूट देने वाले रिटेलर पर निगरानी डिस्ट्रीब्यूटर और होलसेलर को केवल बिल पर ही दवाइयां विक्रय करने के निर्देश दिए गए। प्रदेश के सभी रिटेल शॉप पर कैमरे लगाने अनिवार्य किया गया। राज्य में विभिन्न स्तर पर मनः प्रभावी दवाइयों के भंडारण की सीमा निर्धारित की गई है। दवाओं और कास्मेटिक उत्पादों की जांच रुद्रपुर के अलावा देहरादून में की जा रही है। दोनों स्थानों में अत्याधुनिक मशीनों से सुविधायुक्त लैब है। इसमें वेट लैब, माइनर और मेजर, कास्मेटिक और माइक्रो लैब भी मौजूद है। जांच के साथ ऑनलाइन सर्टिफिकेशन की सुविधा है। आम लोग भी यहां मिलावट की जांच करा सकते हैं। उन्हें इसके लिए लैब चार्ज देना होगा। चारधाम यात्रा मार्ग पर दवाइयों के 156 सैंपल लिए गए जो मानकों पर सही पाए गए। सैंपलों की जांच रुद्रपुर लैब में की जा रही है। ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया, ऊधमसिंहनगर में एक दवा कंपनी में फूड लाइसेंस पर मल्टी विटामिन बनाया जा रहा था। कार्रवाई में मल्टी विटामिन के कैप्सूल और टेबलेट मिले। सैंपल की जांच में मल्टी विटामिन में दवाओं के सॉल्ट पाए जाने पर इनके विरुद्ध कार्रवाई की गई। कंपनी को सील कर दिया गया। टीम ने फैक्टरी कर्मियों से औषधि निर्माण का लाइसेंस दिखाने के लिए कहा। कर्मचारियों ने टीम को फूड लाइसेंस दिखाया। प्रदेश सरकार ने नशे के रूप में उपयोग में लाई जाने वाली नारकोटिक और साइकोट्रापिक दवाओं का स्टाक पहले ही तय कर रखा है। अब मेडिकल स्टोर और सप्लायर इन दवाओं की बिक्री मनमाने ढंग से नहीं कर पाएंगे। होलसेलर व रिटेलर को तय मात्रा से अधिक दवा रखने की इजाजत नहीं होगी और उन्हें बिक्री का हिसाब भी रखना होगा। कोई भी मेडिकल स्टोर या थोक विक्रेता तय सीमा से अधिक दवाओं का स्टाक रखता है तो लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी।

 


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