सावन का आज चौथा सोमवार है और मंदिरों, शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। श्रद्धालु मंदिरों में अपने-अपने तरीके से पूजा अर्चना कर रहे हैं। वहीं भगवान शिव को सबसे प्रिय शमी का पत्ता भी चढ़ाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि एक शमी का पत्ता और 108 बेलपत्र के पत्ते चढ़ाना बराबर है। मान्यता है कि भगवान शिव को शमी का पत्ता चढ़ाने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
गौर हो कि आज सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। नैनीताल जिले में भी श्रद्धालु अलग-अलग मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक व पूजा अर्चना कर रहे हैं। साथ ही भगवान शिव को खुश करने के लिए बेलपत्र, शमी के पत्ते आदि फूल अर्पित कर रहे हैं। मान्यता है कि सावन महीने में भगवान शिव को शमी पत्र अर्पित करने से मनचाहा फल मिलता है। वहीं शिव मंदिर के पुजारी पंडित रायकुमार शर्मा ने कहा कि सावन महीने में सुबह शिवालय में जाकर पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठें और तांबे के लोटे में जल, गंगाजल, सफेद चंदन आदि मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। इसके बाद भगवान भोलेनाथ को शमी पत्र अर्पित करें,शमी पत्र चढ़ाते समय ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। कहा कि शमी का पेड़ बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि रावण का वध करने के बाद जब श्री राम वापस अयोध्या लौट रहे थे, तब उन्होंने शमी की पूजा की थी। रायकुमार शर्मा ने बताया कि शिवपुराण के अनुसार शमी के पत्तों का विशेष महत्व है। यह वृक्ष पूजनीय और पवित्र तो है ही,इससे शनि के सभी दोषों से मुक्ति मिलती है। इसी के साथ शिवलिंग पर शमी के पत्ते चढ़ाने से सौभाग्य की मनोकामना पूरी होती है। पौराणिक मान्यताओं में शमी का वृक्ष बड़ा ही मंगलकारी माना गया है। मान्यता यह भी है कि महाभारत के समय जब पांडवों को अज्ञातवास दिया गया, तब उन्होंने अपने अस्त्र-शस्त्र शमी के वृक्ष में ही छिपाए थे। नवरात्रि में भी मां दुर्गा का पूजन शमी वृक्ष के पत्तों से करने का विधान है। भगवान शिव के साथ-साथ गणेश गणेश और शनिदेव, दोनों को ही शमी बहुत प्रिय है। इसलिए शमी के पेड़ की पूजा का हिंदू धर्म में महत्व और भी अधिक हो जाता है। गौर हो कि आयुर्वेद में भी शमी का काफी अधिक महत्व है,कई दवाओं में इस पेड़ की पत्तियां, जड़ और तने का उपयोग होता है। रायकुमार शर्मा ने कहा कि शमी का एक पत्ता चढ़ाना बेलपत्र के 108 पत्तियों के बराबर है, क्योंकि शमी के एक पत्ते में कई छोटी-छोटी पत्तियां होती हैं,जिन्हें गिनेंगे तो स्वयं ही 108 हो जाएंगे।