उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष से जूझ रहे उत्तराखंड में आने वाले दिनों में नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) के 42 हजार से ज्यादा कैडेट आमजन को जंगली जानवरों के हमलों से बचाव के गुण भी सिखाएंगे। इस सिलसिले में वन विभाग और एनसीसी निदेशालय, उत्तराखंड हाथ मिलाने जा रहे हैं। यह कसरत अब अंतिम दौर में पहुंच चुकी है और अगले माह वन्य प्राणी सप्ताह के अवसर पर इसकी शुरुआत की जाएगी।
देश में यह अपनी तरह की अनूठी पहल होगी, जब एनसीसी कैडेट इस मोर्चे पर भी उतरेंगे। 71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड के जंगलों में फल-फूल रहा वन्यजीवों का कुनबा उसे देश और विश्व में अलग पहचान दिलाता है, लेकिन यह भी किसी से छिपा नहीं है कि वन्यजीव स्थानीय निवासियों के लिए किस तरह मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। पहाड़ हो अथवा मैदानी क्षेत्र, सभी जगह वन्यजीवों का खौफ जारी है। गुलदार, बाघ, हाथी, भालू जैसे वन्यजीवों के हमले अक्सर सुर्खियां बनते आए हैं। यही नहीं, खेती को भी बड़े पैमाने पर जंगली जानवर तबाह कर रहे हैं। यद्यपि, इस संघर्ष को थामने के लिए वन विभाग अब नए सिरे से कसरत कर रहा है। विभिन्न कदम उठाने के साथ ही जन-जागरूकता पर विशेष जोर दिया जा रहा है। कार्बेट टाइगर रिजर्व से इसकी शुरुआत हो चुकी है। इसके साथ ही विभाग अब एक और बड़ा कदम उठाने जा रहा है। उसने जन-जागरूकता के लिए एनसीसी कैडेट का साथ लेने का निश्चय किया है। राज्य वन्यजीव बोर्ड की हालिया बैठक में भी इसे लेकर विमर्श हुआ और इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक एवं राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य सचिव डा. समीर सिन्हा के अनुसार एनसीसी निदेशालय उत्तराखंड और विभाग के मध्य इसे लेकर बातचीत हो चुकी है। अब इससे संबंधित प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा रहा है। प्रयास यह है कि अक्टूबर में वन्य प्राणी सप्ताह से यह शुरुआत कर दी जाए। उन्होंने बताया कि चयनित एनसीसी कैडेट को वन विभाग की ओर से वन्यजीवों के हमलों से बचाव का प्रशिक्षण दिया जाएगा। फिर वे ग्रामीणों के बीच जाकर उन्हें प्रशिक्षित करने के साथ ही जागरूक भी करेंगे।