लखनऊ: राजू पाल का मर्डर यूपी के चर्चित हत्याकांडों में से एक था. 25 जनवरी 2005 की दोपहर का वक्त था. मौसम सर्द था. प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में पूजा पाल नाम की एक महिला घर पर अपने पति राजू पाल के लौटने का इंतजार कर रही थी, लेकिन वह नवविवाहित पूजा उस वारदात से बेखबर थी, जो घर कुछ किलोमीटर दूर होने वाले वाली थी और जिससे उसकी जिंदगी हमेशा के लिए बदलने वाली थी. शार्प शूटरों का एक समूह बसपा विधायक राजू पाल की कार का पीछा कर रहा था, जिसे उनका बहनोई उमेश पाल चला रहा था.
शूटरों ने न सिर्फ उसकी हत्या की थी बल्कि वह एक ऐसा मैसेज देना चाहते थे, जिसे लंबे समय तक भुलाया न जा सकेगा. शूटरों को देखकर घबराए उमेश पाल ने जैसे ही अपनी कार रोकी. वाहन में बैठे राजू पाल पर अपनी असॉल्ट राइफलों से ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी थीं. गोलियों की आवाज से पूरा इलाका गूंज उठा था. हालांकि राजू पाल कुछ समर्थकों ने गोलियों से छलनी राजू पाल को एक टेंपो से अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की थी, लेकिन हमलावर इस पर भी नहीं रुके थे. उन्होंने टेंपो का पीछा कर फिर से राजू पाल के शरीर में बेहिसाब गोलियां दाग दी थीं. हालांकि इस उमेश पाल बच गया था. इस गोलीबारी में उनके दो सुरक्षा गार्ड भी मारे गए थे. शादी के कुछ दिन बाद ही पूजा को अपने पति को खोना पड़ा था. राजू पाल पर कुछ आपराधिक केस थे.
यह आरोप लगाया गया था कि इलाहाबाद के पास फूलपुर से सत्तारूढ़ सपा के सांसद डॉन अतीक अहमद ने हत्या की साजिश रची थी. उसके भाई अशरफ उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने गोली चलाई थी. अतीक इलाहाबाद पश्चिम से लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीता था. जब वह 2004 में संसद सदस्य बना था तो उन्होंने सोचा कि अशरफ आसानी से उपचुनाव में खाली हुई सीट जीत जाएगा लेकिन अशरफ को राजू पाल ने हरा दिया था. अतीक को यह हार बर्दाश्त नहीं हुई तो उसने यह साजिश रच दी.
अतीक तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव का करीबी था. एसपी के एम-वाई (मुस्लिम-यादव) निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के लिए डॉन अतीक महत्वपूर्ण था. उसका बाहुबल भी ऐसा था, जिसकी पार्टी को जरूरत थी. 2003 में उन्होंने देखा कि कुछ विधायकों ने सपा सरकार का समर्थन किया.
लोगों ने मुलायम सिंह यादव को अतीक के ग्रेट डेन ब्रूनो से हाथ मिलाते हुए देखा था. वह कथित तौर पर उस भीड़ का भी हिस्सा था, जिसने बसपा चीफ मायावती पर गेस्ट हाउस में हमला करने की कोशिश की थी. राजू पाल की हत्या की सीबीआई जांच की याचिका का विरोध करने के लिए यूपी सरकार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
मायावती ने चुनाव के लिए पूजा के नाम का किया था ऐलान
अतीक के गढ़ इलाहाबाद पश्चिम में फिर से उपचुनाव होना था. मायावती ग्राउंड जीरो पर आईं और कहा कि पूजा बसपा से चुनाव लड़ेंगी. उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा. हालांकि पूजा वह चुनाव हार गईं लेकिन उन्हें भरपूर समर्थन मिला और यह तो सिर्फ शुरुआत थी.
2007 में पूजा ने अशरफ को हराया था और 2012 में अतीक जोखिम नहीं लेना चाहता था इसलिए वह चुनाव हार गया. इसके बाद डॉन ने कभी भी कोई चुनाव नहीं जीता. इसके बाद 2019 में पूजा पाल सपा में शामिल हो गईं. सपा पर ही उन्होंने अतीक अहमद को आश्रय देने का आरोप लगाया था.
दरअसल बसपा ने एक साल पहले ही पार्टी की तत्कालीन इलाहाबाद प्रमुख पूजा को निष्कासित कर दिया था, लेकिन उस समय सवाल उठा कि आखिर पार्टी ने एक महिला के साथ 13 साल के अपने संबंध को क्यों खत्म किया, जो अपने पति की नृशंस हत्या के बाद एक तेजतर्रार नेता के रूप में उभरी थी?