SCO की मीटिंग में बोले मोदी, दुनिया कर रही ऊर्जा और खाद्य संकट का सामना

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उज्बेकिस्तान के समरकंद में SCO की मीटिंग में शामिल होने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाकात कर रहे हैं। दोनों नेता रूस-यूक्रेन जंग और फूड सिक्योरिटी जैसे अहम मसलों पर बातचीत कर रहे हैं। रूसी बयान के मुताबिक इसमें स्ट्रैटजिक स्टेबिलिटी, एशिया-पैसिफिक रीजन पर चर्चा होगी।

विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने बताया कि PM रूस से सस्ते कच्चे तेल की सप्लाई पर बातचीत कर सकते हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने समरकंद में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से बात की। दोनों नेताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।

मोदी बोले- दुनिया ऊर्जा और खाद्य संकट का सामना कर रही
इन मुलाकातों से पहले PM मोदी शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी SCO की मीटिंग में शामिल हुए। इसमें SCO में सुधार और विस्तार, रीजनल सिक्योरिटी, सहयोग, कनेक्टिविटी मजबूत करने और व्यापार को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई। इसके बाद मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। PM शाम को नई दिल्ली रवाना हो जाएंगे।

मीटिंग में PM नरेंद्र मोदी ने कहा- भारत SCO सदस्यों के बीच अधिक सहयोग और विश्वास का समर्थन करता है। उन्होंने कहा- दुनिया कोविड महामारी से उबर रही है। यूक्रेन क्राइसिस और कोरोना की वजह से ग्लोबल सप्लाई चेन में कुछ दिक्कतें आई हैं। विश्व ऊर्जा और खाद्य संकट का सामना कर रहा है। SCO देशों के बीच सप्लाई चेन विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए बेहतर कनेक्टिविटी की जरूरत है। पढ़ें पूरी खबर…

यूक्रेन से जंग के बीच भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदा
यूक्रेन से जंग के दौरान भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीदारी की। भारत ने इस साल की पहली तिमाही में रूस से 6.6 लाख टन कच्चा तेल आयात किया। यह दूसरी तिमाही में बढ़कर 84.2 लाख टन हो गया। इस दौरान रूस ने प्रति बैरल 30 डॉलर का डिस्काउंट भी दिया। इसके चलते पहली तिमाही में एक टन कच्चे तेल के आयात की लागत करीब 790 डॉलर थी।

दूसरी तिमाही में यह घटकर 740 डॉलर रह गई। इस तरह भारत को कुल 3,500 करोड़ रुपए का फायदा हुआ। इसी अवधि में अन्य स्रोतों से आयात की लागत बढ़ी थी। रूस से 2022 में सस्ते तेल का आयात 10 गुना बढ़ा है। कारोबार 11.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह साल के आखिर तक रिकॉर्ड 13.6 अरब डॉलर तक पहुंचने की प्रबल संभावना है।

जिनपिंग, शाहबाज शरीफ से मोदी की मुलाकात पर सस्पेंस
PM मोदी की पाकिस्तान के PM शाहबाज शरीफ और चीन के राष्ट्रपति ​​​​​​शी जिनपिंग के साथ मुलाकात पर सस्पेंस बना हुआ है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर प्रधानमंत्री मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और शाहबाज शरीफ से मिलते हैं, तो ये मुलाकात भारतीय फॉरेन पॉलिसी के लिए बहुत अहम होगी।

पाकिस्तान ने कहा- हम आतंकवाद से निपटना चाहते हैं
SCO मीटिंग से इतर पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान FATF की सूची से बाहर हो जाएगा। हम आतंकवाद से निपटना चाहते हैं। यह प्राथमिकता एफएटीएफ के कारण नहीं बल्कि पाकिस्तान के लोगों के लिए और हमारे अपने संकल्प के लिए भी है।

इसके अलावा बिलावल ने अगले साल SCO की मेजबानी भारत के करने पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इसमें शामिल होगा या नहीं इस पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है। उन्होंने आगे बताया कि ट्रानजिट ट्रेड के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बयानों में कोई मतभेद नहीं है।

इधर पाकिस्तान में बाढ़ के हालात पर उन्होंने भारत ने मदद मांगने जैसी बातों से इनकार किया। उन्होंने कहा कि हमने भारत से मदद नहीं मांगी है। हम अपने लोगों की मदद कर रहे हैं और कई लोग पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आए हैं। राहत और बचाव अभियान जारी है

SCO का गठन 2001 में हुआ था
SCO यानी शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन का गठन 2001 में हुआ था। SCO एक पॉलिटिकल, इकोनॉमिकल और सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन है। भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान समेत इसके कुल 8 स्थायी सदस्य हैं। शुरुआत में SCO में छह सदस्य- रूस, चीन, कजाकिस्तान, तजाकिस्तान​​​​​​, किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान थे।

भारत 2017 में SCO में शामिल हुआ
2017 में भारत और पाकिस्तान के भी इससे जुड़ने से इसके स्थायी सदस्यों की संख्या 8 हो गई। 6 देश- आर्मीनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और टर्की SCO के डायलॉग पार्टनर हैं। 4 देश- अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया इसके ऑब्जर्वर सदस्य हैं।

अमेरिकी दबदबे वाले NATO का एशियाई काउंटर है SCO; भारत ने चीन को 2 बार झुकाया, मेंबर्स के साथ दोगुना किया व्यापार
SCO का एक प्रमुख उद्देश्य सेंट्रल एशिया में अमेरिका के बढ़ते प्रभाव का जवाब देना है। कई एक्सपर्ट SCO को अमेरिकी दबदबे वाले NATO के काउंटर के रूप में देखते हैं। 1949 में अमेरिकी अगुआई में बने NATO के अब 30 सदस्य हैं। SCO में शामिल चार परमाणु शक्ति संपन्न देश भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान NATO के सदस्य देश नहीं हैं। इनमें से तीन देश- भारत, रूस और चीन इस समय अर्थव्यवस्था और सैन्य ताकत के लिहाज से दुनिया की प्रमुख महाशक्तियों में शामिल हैं। यही वजह है कि SCO को पश्चिमी ताकतवर देशों के सैन्य संगठन NATO के बढ़ते दबदबे का जवाब माना जाता है। पढ़ें पूरी खबर…

SCO में नहीं मिले जयशंकर-बिलावल, 1 फीट दूरी पर बैठे थे दोनों देशों के विदेश मंत्री
भारत और पाकिस्तान के बीच तल्खियां जारी हैं। उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में दोनों देशों के विदेश मंत्री शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की मीटिंग में मौजूद थे। एक मौके पर तो हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान के फॉरेन मिनिस्टर बिल्कुल बगल की सीटों पर मौजूद थे। इसके बावजूद बातचीत होना तो दूर दोनों के बीच किसी तरह की दुआ-सलाम तक नहीं हुई।


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