उत्तराखण्ड में काबाः मतगणना से पहले सबसे बड़ा चुनावी सर्वेक्षण! लिंक में जानें जनता का मन और उसकी सरकार

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उत्तराखण्ड में इसबार किसकी सरकार बनने जा रही है, क्या इसबार जनता बदलाव के मुड में है या फिर जनता पिछली सरकार को ही दोबारा सत्ता में लाना चाहती है। इन सब सवालों का जवाब ढूंढ़ने के लिए आवाज इंडिया, पीपुल्स पल्स और एक्सपोज 24X7 इंडिया की टीम प्रदेश के सभी विधानसभाओं में पहुंची और सर्वे किया। इस दौरान सर्वे में बहुत कुछ बदलाव देखने को मिला। हांलाकि कुछ जगहों पर वोटर साइलेंट मोड पर दिखा, लेकिन फिर भी हमने लोगों का मन टटोला और किसे बढ़त मिल रही है इसका निष्कर्ष निकाला।
गौरतलब है कि दो दिन बाद यानी 10 मार्च को प्रदेश में मतगणना होगी। देखा जाए तो इस बार सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। आवाज़ इंडिया ने चुनाव के बाद 16 फरवरी से 23 फरवरी तक का सर्वेक्षण किया। इस सर्वे में आवाज इंडिया की टीम ने जनता का मूड जाना। सर्वे में निर्वाचन क्षेत्रों में आकार पद्धति के अनुपात में प्रायिकता रही। वहीं सर्वे के दौरान व्यवस्थित यादृच्छिक नमूनों में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदान केंद्रों का चयन किया गया, जिसमे 20-25 मतदाताओं के सैम्पल थे, प्रतिनिधित्व के साथ प्रत्येक मतदान केंद्र से चयनित मैदान पर स्थिति की जांच की गई। चुनाव के बाद के सर्वेक्षण में आमने-सामने एक संरचित प्रश्नावली शामिल थी, ऐसे मतदाता भी थे जिन्होंने गुप्त मतदान किया यानी वो खुलकर किसी पार्टी के समर्थन में नही थे।
सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्षों में कांग्रेस की बात की जाए तो 32 से 37 सीटों का अनुमान कांग्रेस के खाते में जाता दिखाई दे रहा है जबकि सत्तारूढ़ भाजपा 30 से 35 के साथ कांग्रेस से थोड़ा पीछे है। वहीं सीटों की बात करे तो आम आदमी पार्टी (आप) जो पहली बार राज्य में चुनाव लड़ रही है, वो सिर्फ एक सीट जीत सकती है। उधर वोट शेयर की बात करें तो कांग्रेस, बीजेपी से आगे चल रही है।
बता दें कि 2017 के चुनावों की तुलना में कांग्रेस ने इस बार पहले से ज़्यादा जनता का दिल जीता है। वोट शेयर 9.5 फीसदी के शुद्ध लाभ के साथ 33.5 फीसदी से 43 फीसदी हो गया। बीजेपी का वोट शेयर 46.5 फीसदी से घटकर 42 फीसदी रह गया है, जो एक कमी है वो 4.5 प्रतिशत की है। यहां यह उल्लेख करना भी महत्वपूर्ण है कि किसी भी सर्वेक्षण में पांच प्रतिशत से अधिक या सीटों के प्रक्षेपण और वोट शेयर दोनों में माइनस एरर को फैक्टर करने की जरूरत है।
अब बात करें कि किन मुद्दों पर जनता ने किस पार्टी को ज़्यादा वोट किये और इस बार मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा? तो आपको बता दें कि सर्वेक्षण के अनुसार अगले मुख्यमंत्री की पसंद पर हरीश रावत हैं जिन्हें करीब 40 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया है। भाजपा के पुष्कर सिंह धामी 37 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर हैं। वहीं आप उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल आठ प्रतिशत नीचे हैं। गढ़वाल क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों आगे चल रही है। कुमाऊं के तराई क्षेत्र में उनका कड़ा मुकाबला है। आप इस क्षेत्र में हल्का ही असर दिखा रही है। मुख्य चुनावी मुद्दे महंगाई, रोजगार, एमएसपी, पलायन और कोविड थे। अन्य मुद्दे जो आगे प्रभाव पैदा कर रहे हैं वो चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों को बकाया भुगतान है। भाजपा की मुश्किलें मुख्य रूप से तीन मुख्यमंत्री के बदलने, कोविड से खराब तरीके से निपटने और इससे जुड़ी समस्याएं, मौजूदा विधायकों पर भ्रष्टाचार और सत्ता विरोधी लहर के आरोप है। 70 सीटों में से 36 सीटें स्विंग सीट भी हैं जहां प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के वोट पड़े हैं।
आपकों बता दें कि उत्तराखंड में एक बहुत ही अनोखी विशेषता यह है कि सत्ता बनाए रखने के लिए लड़ते हुए किसी भी मुख्यमंत्री ने अपनी सीट नहीं जीती है। कांग्रेस को 50 प्रतिशत ठाकुरों का, 80 प्रतिशत का समर्थन प्राप्त है। मुसलमान 34 प्रतिशत, ब्राह्मण 30 प्रतिशत, ओबीसी और 60 प्रतिशत, अनुसूचित जाति, सिख और पंजाबी मुख्य रूप से कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं। बीजेपी को 65 फीसदी ब्राह्मणों, 50 फीसदी ठाकुरों का समर्थन प्राप्त है जबकि 60 फीसदी ओबीसी, 40 फीसदी एससी, एसटी वोट समान रूप से विभाजित है। चुनाव के बाद के सर्वेक्षण के अलावा आवाज इंडिया की टीम ने 1 फरवरी से सभी विधानसभा क्षेत्रों में मूड सर्वे भी किया गया। इसमें वर्गीकृत करने के लिए केंद्रित समूह चर्चाएं शामिल थीं। किसी विशेष पार्टी के लिए निश्चित जीत या हार के रूप में 70 सीटें और उत्सुक प्रतियोगिता, यह उल्लेख करने की आवश्यकता है कि राज्य में छोटे निर्वाचन क्षेत्र हैं और कुछ सौ मतदाताओं के समूह में परिणाम को प्रभावित करने की क्षमता होती है।


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