उत्तराखंड में बाघ और भालू से भी खतरनाक है जहरीले सांप! आंकड़ों ने चौंकाया

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उत्तराखंड में वन्यजीवों से इंसानों का संघर्ष वैसे तो कोई नई बात नहीं है लेकिन वन विभाग के पिछले 10 सालों के आंकड़ों ने जहरीले सांपों को लेकर सोचने पर मजबूर कर दिया है। ताजा आंकड़े जाहिर करते हैं कि प्रदेश में न केवल भालू बल्कि बाघ जैसे खूंखार वन्य जीव से भी घातक जहरीले सांप बने हुए हैं। प्रदेश में वन विभाग के आंकड़ों ने सभी को क्यों चौंका दिया है।

उत्तराखंड में पिछले दिनों बाघों की गणना को लेकर सुखद आंकड़े आए तो इसने इंसानों के साथ संघर्ष की घटनाएं का डर और अधिक बढ़ा दिया है। दरअसल बाघों की संख्या के लिहाज से उत्तराखंड देश का तीसरा राज्य है। उत्तराखंड में कुल 560 बाघ हैं। हालांकि बाघों की संख्या घनत्व के लिहाज से देखी जाए तो उत्तराखंड पहले पायदान पर है। यह स्थिति होने के बावजूद उत्तराखंड में टाइगर इंसानों के लिए सबसे घातक वन्य जीव नहीं हैं। उत्तराखंड वन विभाग के ताजा आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में जहरीले सांपों का आतंक इस कदर है कि बाघ और भालू जैसे खूंखार वन्यजीवों से ज्यादा लोग सांपों के काटे जाने से अपनी जान गंवा रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या सांप! वन विभाग के यह ताजा आंकड़े यह बताते हैं कि प्रदेश में गुलदार के बाद सबसे बड़ी समस्या सांप बन गए हैं। यह स्थिति तब है जब 80 प्रतिशत से ज्यादा सांप जहरीले नहीं हैं। राज्य में मानसून के दौरान सांपों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं और सांप जमीन के नीचे से या अपने बिलों से बाहर निकलने लगते हैं।

उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल बताते हैं कि मानसून के दौरान यह रिकॉर्ड किया गया है कि सांपों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं और वह जमीन के बाहर निकलने लगते हैं। बड़ी बात यह है कि इस दौरान कई लोगों को सांप काट लेते हैं जिसमें उनकी जान चली जाती है। वन मंत्री सुबोध उनियाल की मानें तो वन विभाग इस स्थिति को चुनौती के रूप में ले रहा है और इसके लिए एक विशेष अभियान शुरू करने की भी कोशिश हो रही है। वन विभाग भी मानता है कि प्रदेश में सांपों के काटने से लोगों की मौत के मामले काफी बढ़ गए हैं और इसके लिए सबसे बड़ी वजह लोगों का जागरूक न होना है।

 


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