मणिपुर के कई हिस्सों में बहाल होने लगी है शांति, 140 से ज्यादा हथियार और 11 मैगजीन किये गये सरेंडर

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मणिपुर: मणिपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील का असर एक दिन बाद ही दिखने लगा. मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने बताया कि प्रदेश में शुक्रवार को अलग-अलग जगहों पर 140 से ज्यादा हथियार और 11 मैगजीन सरेंडर किए गए हैं. जानकारी के मुताबिक हथियारों में सेल्फ-लोडिंग राइफलें, कार्बाइन, एके और इंसास राइफलें, लाइट मशीन गन, पिस्तौल, एम-16 राइफल, स्मोक गन/आंसू गैस, स्टेन गन और ग्रेनेड लॉन्चर शामिल हैं. शाह ने मणिपुर के अपने दौरे के आखिरी दिन गुरुवार को लोगों से अपील की थी कि वे अपने हथियार सुरक्षा बलों और प्रशासन को सौंप दें.

हालात पर काबू पाने के लिए भारतीय सेना और असम राइफल्स के 10 हजार जवान पूर्वोत्तर के राज्य में स्थिति सामान्य करने के प्रयास में जुटे हुए हैं. इसके अलावा अन्य अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को भी तैनात किया गया है.

हालांकि उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि राज्य में जल्द ही तलाशी शुरू की जाएगी. अगर किसी के पास कोई हथियार पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. शाह ने कहा था कि मणिपुर में ज्यादातर जिलों में स्थिति शांतिपूर्ण है. उपद्रवियों द्वारा खाली घरों में फायरिंग या आगजनी की छिटपुट घटनाएं ही देखने को मिल रही हैं क्योंकि हिंसा रोकने के लिए कई सुरक्षा एजेंसियां पूरी कोशिश कर रही हैं.

10 लाख मुआवजा, एक सरकारी नौकरी
सरकार ने मणिपुर हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए बड़ा एलान किया है. इस मामले में केंद्र और मणिपुर सरकार पीड़ित परिवार के परिजनों को 10-10 लाख रुपये और एक सरकारी नौकरी देगी.अमित शाह और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के बीच बीते सोमवार को हुई बैठक के बाद यह फैसला लिया गया.

घातक हथियार सरेंडर किए गए​
अमित शाह ने गुरुवार को घोषणा की थी कि मणिपुर में हुई जातीय हिंसा की जांच के लिए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश स्तर के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा. शाह ने कहा था,‘हिंसा होने के कारण क्या हैं और इसके लिए कौन जिम्मेदार है…इन सभी की जांच के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्तर के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोग गठित किया जाएगा.’

शाह ने उग्रवादी समूहों को दी थी चेतावनी
शाह ने उग्रवादी समूहों को चेतावनी दी थी कि वे अगर ‘संचालन का निलंबन (एसओओ) संधि’ का किसी भी प्रकार से उल्लंघन करते हैं तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा था,‘किसी भी प्रकार का विचलन होने पर कठोरता से संज्ञान लिया जाएगा और इसे संधि भंग करना माना जाएगा। समझौते की शर्तों का पालन कीजिए.’

जनजातीय एकता मार्च के बाद शुरू हुई हिंसा
मणिपुर में हाई कोर्ट के आदेश के विरोध में 3 मई को ‘जनजातीय एकता मार्च’ निकाला गया था. इसी दौरान पहली बार जातीय हिंसा भड़क उठी थी. अनुसूचित जाति (एसटी) के दर्जे की मांग को लेकर मैतेई समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था, जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया था. आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे.

मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का करीब 53 प्रतिशत है और समुदाय के अधिकतर लोग इंफाल घाटी में रहते हैं. नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या कुल आबादी का 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

 

 

 

 


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