विदेश भेजने के नाम पर एक ऐसा अवैध कारोबार जो उत्तराखंड से लेकर विदेशों तक फैला हुआ है। ऑफिस खोलते ही करोड़ों का टर्नओवर कुछ ही महीनों में होने लगता है और प्रॉफ़िट पूछिये मत! जी हाँ विदेश भेजने और नौकरी लगवाने के नाम पर अवैध ओवरसीज़ कंसल्टेंसी की उत्तराखंड में बाढ़ आई हुई है जिसमें ऊधम सिंह नगर जिले में सबसे ज्यादा अवैध ओवरसीज़ का कारोबार फल फूल रहा है। विदेश जाकर पैसा बनाने की हसरत लिए भोले भाले लोग अवैध ओवरसीज के मकडजाल में फंस जाते है और ठगी के शिकार हो जाते है।
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2022 में उत्तराखंड से कुल 3627 लोग विदेश भेजे गए जिसमें पहले नंबर में उधम सिंह नगर जिले से 1314 लोग दूसरे नंबर पर हरिद्वार से 825 और तीसरे नंबर पर देहरादून से 767 लोग विदेश भेजे गए। वर्ष 2019 से लेकर वर्ष 2023 तक विदेश भेजने के नाम पर की गयी ठगी के विरुद्द उधम सिंह नगर के अधिकतर थानों में 50 एसई अधिक एफ़आईआर दर्ज़ है एफआईआर दर्ज़ है जिन पर कार्यवाही चल रही है। आइलेट्स ओवरसीज़ का काम करने वाले कंसल्टेंट्स पहले कुछ वर्ष कनाडा औस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड यूएसए यूरोप जैसी कंट्री में रहकर आते है और वहाँ एम्प्लोयर कंपनी से लेकर उत्तराखंड तक कारोबार की चैन स्थापित करते है। जिसके बाद लग्जरी ऑफिस खोला जाता है और सम्मानित प्रतिनिधि के द्वारा भव्य उद्घाटन भी करवा दिया जाता है प्रचार और प्रसार के लिए शहर भर को होर्डिंग्स से पाट दिया जाता है। जिसके बाद विदेश जाने की चाहत लिए मासूम लोग इनके जाल में फँसने चले आते है।
आम तौर पर पेरेंट्स अपने बच्चे को विदेश भेजने के लिए आइलेट्स और ओवरसीज़ के ऑफिस में संपर्क करते है जहां पेरेंट्स की काउंसिलिंग की जाती है और उन्हें विदेश में करोड़ों के सब्जबाग दिखाकर 15 से 20 लाख तक का खर्चा बताया जाता है जिसमें बच्चे की ट्रेनिंग करवाना, वीजा लगवाना,इंटरव्यू और नौकरी की गारंटी आदि दी जाती है। कुछ आइलेट्स ओवरसीज़ तो विदेश भेजने के नाम पर बच्चे से पैसे तो ले लेते है लेकिन विदेश नहीं भेजते और कुछ ओवरसीज़ पैसे लेने के बाद विदेश भेजते तो है लेकिन उस कंट्री में नहीं भेजते जहां का करार किया जाता है। इसलिए कुछ लोग तो लाखों रुपए गँवाने के बाद विदेश नहीं जा पाते और जो जा पाते है वो परेशान होकर कुछ ही महीनों में वापस अपने देश लौट आते है।
उत्तराखंड के भोले-भाले लोगों को विदेश में करोड़ो कमाने का सपना बेचने वाले अवैध ओवेरसीज खुद उत्तराखंड के तमाम जिलों में प्रशासन और पुलिस की आँखों में धूल झोककर धड़ल्ले से अवैध कारोबार से पैसा बना रहे है जहां करोड़ों का ट्रांजेक्शन तो होता है लेकिन सरकार को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता और न ही किसी तरह का कोई पंजीकरण शुल्क जमा करना पड़ता है। क्योंकि स्थानीय स्तर पर प्रशासन और पुलिस को आइलेट्स और ओवरसीज़ के कार्य करने वालों के नियम और क़ानूनों की जानकारी ही नहीं होती है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में विदेश भेजने वाली केवल 7 फ़र्में रजिस्टर्ड है जिनमें ऊधम सिंह नगर से एकमात्र फर्म बाजपुर से और बाकी 6 देहरादून से हैं बावजूद इसके उधम सिंह नगर जिलें में थोक के भाव खुली अवैध ओवरसीज़ की दुकानें पुलिस प्रशासन और सतर्कता विभाग पर सवालिया निशान खड़ा कर रही है। कई वर्षों से अवैध ओवरसीज़ का कारोबार करने वालों पर संगीन धाराओं में लगातार मुकदमें भी दर्ज़ हो रहे है लेकिन उत्तराखंड पुलिस के द्वारा आज तक संयुक्त रूप से कोई भी कार्यवाही नहीं की है जिससे इन सबके हौंसले बुलंद है और उत्तराखंड में ठगी का कारोबार चरम पर है। ऊधम सिंह नगर जिलें के सभी शहरों में कुकुरमुत्तों की तरह उगते अवैध ओवरसीज़ के ऑफिस जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहा है। आशा करते है इस ख़बर के बाद अवैध ओवरसीज़ के कारोबार पर लगाम लगेगी और भोले-भाले लोगों को ठगी का शिकारा होने से बचाया जा सकेगा।