उत्तराखंड के माणा गांव की महिलाओं की आजीविका का साधन बना भोज पत्र! पीएम मोदी कर चुके हैं तारीफ

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पीएम के प्रोत्साहन के बाद नीति-माणा घाटी की जनजाति समुदाय की महिलाओं के लिए भोजपत्र से बनी कलाकृतियां आजीविका का साधन बन गई हैं। जिससे उन्हें अपने और परिवार का भरण- पोषण करने में आसानी हो रही है। वहीं प्रशासन भी भोजपत्र से निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए हर प्रयास कर रहा है।

चमोली में बीते वर्ष पीएम नरेंद्र मोदी के माणा भ्रमण के दौरान भोजपत्र पर उकेरी गई कलाकृति का नमूना माणा गांव की महिलाओं द्वारा प्रधानमंत्री को भेंट किया गया था। प्रधानमंत्री ने महिलाओं द्वारा भोजपत्र से बनाई गई कलाकृति की सराहना की थी। जिसके फलस्वरूप आज भोजपत्र से बनी कलाकृतियां अनुसूचित जनजाति की महिलाओं की आजीविका का अच्छा साधन बनती जा रही है। भोजपत्र से बनी मालाएं बदरीनाथ धाम आने वाले तीर्थयात्रियों को भी खूब भा रही हैं। बीते साल 21 अक्टूबर 2022 को पीएम नरेंद्र मोदी भारत चीन सीमा से जुड़े सीमांत गांव माणा आए थे। इस दौरान आईटीबीपी ग्राउंड में आयोजित सरस मेले में स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने भोजपत्र पर तैयार एक अनूठी कलाकृति प्रधानमंत्री को भेंट की थी। जिसके बाद उन्होंने जनजाति महिलाओं की खूब प्रशंसा की. साथ ही उन्होंने कुछ उत्पाद भी महिलाओं से खरीदे और उसका डिजिटल पेमेंट भी किया था। अब माणा गांव की महिलाओं ने पीएम के प्रोत्साहन के बाद नीति-माणा घाटी की जनजाति समुदाय की महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भोजपत्र पर लिखी श्री बदरीनाथ की आरती और एक पत्र प्रेषित कर आभार जताया है। भोजपत्र पर उकेरी गई कलाकृति की महत्ता को पीएम ने बताया: इसके अलावा पीएम मोदी ने चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों से स्थानीय उत्पादों की खरीद पर अपने यात्रा व्यय का 5 प्रतिशत अंश व्यय करने का भी आग्रह किया था। दिव्य भोजपत्र पर उकेरी गई कलाकृति की महत्ता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माणा से वापस दिल्ली जाते ही 22 अक्टूबर को ट्वीट के जरिए लिखा कि भोजपत्र पर उकेरी गई भाई-बहनों की भावनाएं मन को अभिभूत करने वाली है। प्रधानमंत्री द्वारा भोजपत्र से बनी कलाकृतियों की प्रशंसा किए जाने के बाद चमोली जिला प्रशासन द्वारा भोजपत्र से निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किए गए हैं। जिसके अंतर्गत भोजपत्र स्मृति चिह्न बनाने के लिए निरंतर भोज पत्र पर लिखाई को लेकर सुलेख प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। साथ ही अब तक कई स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है। महिलाओं का कहना है कि भोजपत्र की कलाकृतियों के विक्रय से उनके परिवार के भरण-पोषण में मदद मिल रही है। पीएम मोदीलक्ष्मी वन के पास भोजपत्र का बड़ा जंगल: बदरीनाथ के पास बसुधारा और स्वर्गारोहिणी मार्ग पर लक्ष्मी वन के पास भोजपत्र का बड़ा जंगल है। भोज पत्र पेड़ के तने पर छाल के रूप में मिलता है। जिसको लोग बड़ी सावधानी से उतार कर उपयोग में लाते हैं. पुराने समय में भोजपत्र कागज के रूप में प्रयोग होता था। भोजपत्र के पेड़ अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में पाए जाते हैं। आज भी भोजपत्र को पवित्र और दिव्य माना जाता है. साथ ही भोजपत्र पूजा में भी उपयोग किया जाता है।


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