महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की जांच के मामले में महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की जांच को ट्रांसफर करने के की अपील को खारिज कर दिया है।
मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि यह पूरी तरह से गुमराह करने वाली याचिका है। महाराष्ट्र सरकार ने शीर्ष न्यायालय से मामले की जांच को सीबीआई से लेकर कोर्ट की निगरानी में एसआईटी से जांच कराने की मांग की थी। महाराष्ट्र सरकार के अधिवक्ता सी.ए.सुंदरम ने कहा कि सीबीआई की जांच पक्षपातपूर्ण हो सकती है, क्योंकि राज्य के पूर्व पुलिस कमिश्नर सुबोध कुमार जायसवाल फिलहाल सीबीआई की कमान संभाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जायसवाल पुलिस बोर्ड का हिस्सा रह चुके हैं, जब नियुक्ति और तबादले के कई निर्णय लिए गए थे।
सुंदरम ने कहा कि अगर जायसवाल संभावित आरोपी नहीं हैं, तो उन्हें गवाह होना चाहिए। अनिल देशमुख पर आरोप हैं कि उन्होंने राज्य के गृहमंत्री पद पर रहते हुए पुलिस तबादलों और नियुक्तियों के लिए रिश्वत ली है। मालूम हो कि उच्चतम न्यायालय ने 24 मार्च को पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ कदाचार और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।