बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस कोई भी कुर्बानी देने को तैयार, क्या है क्षेत्रीय दलों की मांग?

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नई दिल्ली: रायपुर अधिवेशन में कांग्रेस ने कहा है कि विपक्षी एकता के लिए वह कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है। क्षेत्रीय दल भी कांग्रेस से ऐसी ही अपेक्षा रखते हैं, लेकिन प्रश्न है कि कई राज्यों की ड्राइविंग सीट पर बैठे क्षेत्रीय दल कांग्रेस से किस हद तक और कितनी कुर्बानी की मांग कर सकते हैं।

चुनिंदा सीटों पर चुनाव लड़ने का सुझाव
राजद का मानना है कि कांग्रेस को देशभर में सिर्फ दो सौ सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए और जिन राज्यों में क्षेत्रीय दल मजबूत स्थिति में हैं, वहां की कमान उन्हें ही सौंप दी जाए। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने यह फार्मूला कांग्रेस के सामने पहले ही रख दिया था। कांग्रेस की कुर्बानी वाले बयान पर जदयू को भरोसा नहीं।

छोटे दिल से बड़ा काम नहीं होता
जदयू के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी उसकी मंशा पर ही सवाल उठाते हैं। तेजस्वी की बातों को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि छोटे दिल से बड़ा काम नहीं होता है। अगर वह बड़ा भाई बने रहना चाहती है तो क्षेत्रीय दलों को सम्मान देना ही होगा। हालांकि, कांग्रेस ने कभी क्षेत्रीय दलों से बात नहीं की। एकता की पहल नहीं की।

कांग्रेस को आत्ममंथन करने की सलाह
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान ने कांग्रेस को आत्ममंथन करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि सिर्फ राजस्थान और छत्तीसगढ़ के बल पर ही कांग्रेस की दिल्ली की कुर्सी नहीं मिल जाएगी। उसे केरल और बंगाल पर भी मंथन करना चाहिए कि उसने किसके साथ क्या किया।भाजपा से संघर्ष के लिए बिहार फार्मूला सबसे बढ़िया है।

421 सीटों पर लड़कर 52 जीती थी कांग्रेस
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 421 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। उसे सिर्फ 52 सीटों पर जीत मिली थी और 209 सीटों पर उसके प्रत्याशी दूसरे नंबर पर आए थे। 148 सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी। कांग्रेस की जीती हुई सीटों में कई ऐसी भी थीं, जिनपर उन दलों की हार हुई थी, जिनसे आज एकता की अपेक्षा की जा रही है। जदयू को कांग्रेस ने एक सीट पर एवं वामदलों को 13 सीटों पर शिकस्त दी थी। तेलंगाना राष्ट्र समिति को तीन सीटों पर कांग्रेस से हार हुई थी।

कांग्रेस के लिए क्षेत्रीय दलों की कुर्बानी!
सवाल है कि कांग्रेस के लिए क्षेत्रीय दल क्या उन सीटों पर कुर्बानी देने के लिए तैयार होंगे। इसी तरह कांग्रेस जिन 209 सीटों पर दूसरे नंबर रही थी, उनपर उसे जदयू ने पांच, शिवसेना ने सात एवं टीआरएस ने आठ सीटों पर हराया था। प्रश्न यहां भी वही है कि क्या कांग्रेस उन सीटों पर कुर्बानी देने के लिए तैयार है।

 


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