तो क्या गुजरात में जीत के लिए नही बल्कि राष्ट्रीय पार्टी बनाने के लिए केजरीवाल ने लगाया था एड़ी- चोटी का जोर

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गुजरात विधानसभा चुनाव परिणाम: बीते दिन दिल्ली एमसीडी में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिलने के बाद आज हिमांचल और गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव परिणाम सामने आ गये है। हिमांचल प्रदेश में जहां कांग्रेस वहीं गुजरात में भाजपा एकतरफा जीत की ओर बढ़ रही है। ऐसे में आम आदमी के लिए दिल्ली के बाद गुजरात से भी अच्छी खबर सामने आ रही है। आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए गुजरात विधानसभा चुनावों में 7 प्रतिशत वोटों की आवश्यकता थी जो मौजूदा समय की वोटिंग में 12 प्रतिशत को भी पार कर चुकी है। हालाकिं केजरीवाल गुजरात जीत का दावा ठोक रहे थे जो पूरी तरह से खोखला निकला और शायद यही वजह थी कि वोट शेयर बढ़ाने के लिए केजरीवाल ने विधानसभा चुनावों में जीत का प्रोपेगेंडा फैलाया था।

गोपाल राय ने ट्वीट कर कहा है कि गुजरात की जनता के समर्थन से आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बनने जा रही है। उन्होंने आगे लिखा की काम की राजनीति राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बना रही है। इसके लिए उन्होंने AAP के सभी कार्यकर्ताओं एवं पूरे देशवासियों को गोपाल राय ने बधाई भी दी है।

चुनाव आयोग के प्रमाणपत्र के बाद ही मिलेगा दर्जा
गुजराज में 12 प्रतिशत वोट मिलने के बाद ही AAP का राष्ट्रीय पार्टी बनने का रास्ता साफ हो गया है। AAP को राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिएकेवल सात प्रतिशत वोटों की आवश्यकता थी। हालांकि, चुनाव आयोग के प्रमाणपत्र के बाद ही आधिकारिक रूप से आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी माना जाएगा। चुनाव आयोग के अनुसार नतीजों में 11 बजकर 50 मिनट तक AAP को 12.76 प्रतिशत वोट मिले हैं।

आखिर क्यों हो रही है केजरीवाल की किरकिरी

केजरीवाल ने एमसीडी और गुजरात चुनावों में जीत की बात कही थी। यही नही उन्होंने आजतक से बातचीत के दौरान उन्होंने दोनों चुनावों में ये बात कागज पर लिखकर भी दी थी। ऐसे में 182 सीटों में से 10 प्रतिशत तो दूर बल्कि कुल 10 सीटें भी आम आदमी पार्टी के लिए दूर की कौड़ी साबित हो रही है। ऐसे में दूसरों को झूठा और मतलब की राजनीती बताने वाले केजरीवाल ने खुद को भी उसी पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया है। साफ है गुजरात में मोदी के सामने बौने से भी छोटा दिखने वाली केजरीवाल की पार्टी ने सोची समझी रणनीति से गुजरात में जीत का दावा ठोकने के साथ परिवर्तन का झूठा प्रचार किया। बता दे कि केजरीवाल गुजरात चुनावों में 150 सीटों के जीतने का दावा कर रहे थे।

क्या और कैसे बनती है राट्रीय पार्टी

कोई दल ४ अलग अलग राज्यों में लोक सभा या विधान सभा चुनाव में कम से कम ६% मत पाये हों और लोक सभा में कम से कम ४ सीटें हासिल की हों। किसी भी दल को कम से कम चार या उससे अधिक राज्यों में राज्यीय दल की मान्यता प्राप्त हो।

ये होंगे फायदे

किसी भी राजनीतिक दल के राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर मान्यता मिलने के कई फायदे होते हैं। सबसे पहला फायदा तो जाहिर है मान्यता यानी स्तर को लेकर ही है। राजनीतिक दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल होने के बाद अखिल भारतीय स्तर पर एक आरक्षित चुनाव चिह्न मिल जाता है।

निर्वाचन आयोग जिन राजनीतिक दलों को मान्यता देता है उनको कुछ विशेष अधिकार और सुविधाएँ भी देता है जैसे, पार्टी को एक स्थायी चुनाव चिन्ह का आवंटन करना. निर्वाचन सूची मुफ्त और अनिवार्य तौर पर प्राप्त करने की सुविधा. चुनाव के कुछ समय पहले उन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर टेलीविज़न और रेडियो प्रसारण के लिए समय दिए जाने की अनुमति देना ताकि वे अपनी बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकें. नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए उम्मीदवारों के प्रस्तावकों की संख्या बढ़ जाती है. साथ ही नेशनल मीडिया पर फ्री एयरटाइम मिल जाता है. इससे पार्टी की पहुंच बढ़ने में आसानी होती है.


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