केंद्र से उत्तराखंड को है विशेष राहत की दरकार! अंतरिम बजट से नहीं होगा बेड़ा पार

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उत्तराखंड को केंद्र सरकार से बजट में ऐसी कई विशेष मदद की दरकार है जो राज्य के खराब आर्थिक हालत में राहत दे सके। हालांकि अंतरिम बजट में राज्यों को बहुत ज्यादा कुछ मिलने की पहले से ही संभावनाएं नहीं थी। इसके बावजूद केंद्र ने अपने इस बजट में आधारभूत संरचना को बेहतरीन करने के लिए बजट का प्रावधान किया है। इसके अलावा एनर्जी सेक्टर हाउसिंग और हेल्थ सेक्टर में भी उत्तराखंड को अंतरिम बजट से मदद मिलने जा रही है। मोदी सरकार ने गुरुवार को अपना अंतरिम बजट पेश कर दिया। इस बजट में वैसे तो विभिन्न सेक्टर के लिए बजट का प्रावधान किया गया है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि इसमें खास तौर पर एनर्जी सेक्टर, हाउसिंग सेक्टर और हेल्थ सेक्टर में लोगों को खास फायदा होने जा रहा है। वैसे तो अंतरिम बजट में बहुत ज्यादा नई स्कीम पर फोकस नहीं किया जाता है लेकिन बजट को लेकर कुछ नए प्रावधान केंद्र की मंशा को स्पष्ट कर देते हैं। जानकार कहते हैं कि इस बजट के माध्यम से केंद्र सरकार ने विकास दर बढ़ाने की अपनी सोच को जाहिर किया है। साथ ही आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए अपनी कटिबद्धता को भी जाहिर किया है। उत्तराखंड के परिपेक्ष में देखें तो प्रदेश के लोगों को हाउसिंग सेक्टर में 2 करोड़ नए घर बनाने के ऐलान से फायदा होगा। इसी तरह सोलर पावर को हाउसिंग परियोजनाओं में जोड़ने की आगामी सोच के कारण भी प्रदेश में एनर्जी सेक्टर में विशेष फायदा मिल सकेगा। इस दौरान कामकाजी लोगों के लिए टैक्स के स्लैब में कोई बदलाव नहीं कर उन पर कोई भी नया भार नहीं डाला गया है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में आशा वर्कर तक को लाभ देने के लिए मोदी सरकार के अंतरिम बजट में प्रावधान किया गया है।

प्रदेश में केंद्रीय बजट को लेकर हमेशा से ही उत्सुकता रहती है। हालांकि उत्तराखंड की वित्तीय स्थितियों के लिहाज से राज्य को जिस मदद की दरकार है वह केंद्र से नहीं मिल पाती। दरअसल प्रदेश में केंद्रीय योजनाओं की बड़ी भागीदारी रहती है और वित्तीय रूप से केंद्र की भागीदारी को बढ़ाने कि राज्य को सबसे ज्यादा जरूरत है। वैसे तो ऐसी कई योजनाएं हैं जो 90 और 10 के रेश्यो में राज्य के लिए सहायक हैं। इसी तरह 80 और 20 के रेश्यो वाली भी केंद्रीय योजनाएं राज्य में चलती रही हैं। लेकिन समय के साथ वित्तीय सहायता में कमी करते हुए ऐसी योजनाओं को कम किया गया है। ऐसी योजनाओं में अधिकतर हिस्सा केंद्र सरकार की तरफ से दी गई वित्तीय मदद से से चलता है जबकि बाकी 10 से 20 प्रतिशत हिस्सा ही राज्य द्वारा वहन किया जाता है। उत्तराखंड अब करीब एक लाख करोड़ के कर्ज की तरफ बढ़ रहा है। इस कर्ज के ब्याज को चुकाने के लिए ही कर्ज लेना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार से एक बड़े राहत पैकेज या ग्रीन बोनस की आवश्यकता है ताकि राज्य सरकार एक तरफ अपने भारी भरकम कर्ज और उसके ब्याज में कमी ला सके। साथ ही ऐसी बड़ी योजनाओं पर भी निवेश कर सके जिनकी मदद से राज्य के लिए राजस्व के लिहाज से नए रिसोर्स खुल सकते हैं।

उत्तराखंड नया राज्य है। इसमें अभी आधारभूत संरचनाओं के साथ मूलभूत सुविधाओं को ही जुटाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इन स्थितियों में केंद्र से आधारभूत संरचनाओं के लिए भी राज्य को ज्यादा तवज्जो दिए जाने की जरूरत है। जाहिर है कि केंद्र से बजट में इसके लिए विशेष प्रावधान की भी दरकार महसूस की जाती है। खास तौर पर पर्वतीय क्षेत्रों के आधारभूत संरचनाओं में केंद्रीय बजट के जरिये विशेष मदद की दरकार है। उत्तराखंड में पर्यटन सेक्टर सबसे महत्वपूर्ण है। इससे न केवल राज्य का राजस्व प्रभावित होता है, बल्कि रोजगार में भी प्रदेश को बड़ी मदद मिलती है। ऐसे में यदि केंद्र सरकार पर्यटन सेक्टर पर उत्तराखंड को विशेष तवज्जो देते हुए बजट प्रावधान के साथ योजनाओं में विशेष तवज्जो दे तो राज्य को पर्यटन क्षेत्र में नई उड़ान दी जा सकती है। इससे राज्य का पर्यटन और तीर्थाटन नई ऊंचाई तक पहुंच सकता है। इस स्थिति में राज्य स्वावलंबी होने की तरफ तो बढ़ेगा ही साथ ही राज्य की एसजीडीपी भी बेहतर स्थिति में पहुंच सकती है। उत्तराखंड में कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए भी केंद्र से ही बजट मिलने पर स्थितियां सुधरने की उम्मीद है। इस तरह राज्य में उड़ान योजना जैसी स्कीम को केंद्र की मदद से चलाये जाने पर कनेक्टिविटी को बेहतर किया जा सकता है। प्रदेश में मैदान के साथ ही पर्वतीय जिले भी मौजूद हैं लिहाजा कनेक्टिविटी राज्य के लिए एक बड़ा विषय है और यह राज्य के पर्यटन सेक्टर के लिए भी बेहद जरूरी है। उत्तराखंड में हर साल आपदा से राज्य को सैकड़ों करोड़ का नुकसान होता है। लिहाजा प्रदेश को इन हालातों से लड़ने के लिए केंद्र से बजट में विशेष प्रावधान की जरूरत महसूस की जाती रही है। आपदा मद में उत्तराखंड को विशेष राज्य के तौर पर देखते हुए हर साल आर्थिक मदद के रूप में बजट के स्तर पर विशेष प्रावधान करने की भी जरूरत है। इसके अलावा केंद्र से प्रभावितों को विशेष मदद के लिए भी केंद्रीय प्राथमिकता की आवश्यकता है।


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